शबाहत हुसैन विजेता हमें याद नहीं हैं वह पैदल लौटते मजदूर. सड़कों पर छप गए उनके खून सने पैरों के निशान कब के मिट चुके हैं. हमें याद नहीं है शाहीनबाग और लखनऊ के घंटाघर पर हज़ारों की तादाद में औरतें किस वजह से कई महीने तक मीटिंग करती रही …
Read More »Tag Archives: शाहीनबाग
देश के संघीय ढांचे को कमजोर करने की कोशिश है राज्यों का मनमाना आचरण?
भारत गणराज्य को विश्व की आदर्श जनतांत्रिक व्यवस्था के रूप में देखा जाता है। सभी धर्मावलम्बियों को निजिता के सार्वजनिक प्रदर्शन की खुली छूट दी गई है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर धमकी भरे वक्तव्य जारी करने का अधिकार दिया गया है। सरकारी निर्णयों के विरुध्द हिंसक प्रदर्शनों की …
Read More »शाहीन बाग में फेंका गया पेट्रोल बम, धरने पर सिर्फ पांच महिलाएं
न्यूज डेस्क आज पूरे देश में जनता कर्फ्यू के चलते लोग अपने घरों में बंद है। शहर तो शहर, कस्बों और गांव तक में लोग अपने घरों में बंद हैं, बावजूद इसके शाहीनबाग में प्रदर्शन हो रहा है। अब ऐसी खबर है कि शाहीन बाग में जुटे प्रदर्शनकारियों पर पेट्रोल …
Read More »तो ऐसे खत्म होगा शाहीन बाग का आंदोलन!
न्यूज डेस्क कोरोना वायरस को लेकर दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सीएम केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि सभी तरह की सभाएं, जिसमें 50 से ज्यादा लोग शामिल हैं उनकी मंजूरी नहीं दी जाएगी। शादी को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। मुख्यमंत्री …
Read More »दिल्ली की हवा अभी नरम है , 26 जनवरी के बाद चलेगी सियासी लू
प्रांशु मिश्र दो दिन से दिल्ली में हूँ..काम के बीच सियासी जायजा भी लिया जा रहा है..ओला उबर चालकों से लेकर होटल ढाबो पर नौकरी करने वाले लोगों तक से बातचीत.. पत्रकार साथियों से फीडबैक और राजनीतिक लोगों से गुफ्तगू..निचोड़ यह कि .. दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप का माहौल …
Read More »CAA और शाहीनबाग पर लोगों ने BJP Manifesto में क्या सुझाव दिया
न्यूज डेस्क दिल्ली में चुनावी सरगर्मी चरम पर है। नामांकन प्रक्रिया शुरु हो चुकी है। वहीं बीजेपी ने 15 दिन पहले दिल्ली चुनावों के घोषणापत्र के लिए आम जनता से सुझाव मांगा था। ऐसी चर्चा है कि चुनावी घोषणा पत्र संबंधी 11.65 लाख सुझाव मिले हैं। नन सुझावों में नागरिकता …
Read More »गैरराजनीतिक विरोध की मिसाल बनी शाहीनबाग की महिलाएं
प्रीति सिंह कहते हैं कि जहां सड़के खामोश होती हैं वहां शासन आवारा हो जाता है। भारत के परिप्रेक्ष्य में ऐसा ही कुछ है। पिछले छह साल से भारत की सड़कें खामोश थी। शायद इसीलिए सरकार की मनमानी चरम पर पहुंच गई, लेकिन कहते हैं न देर आए दुरुस्त आए। …
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