उत्कर्ष सिन्हा “उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए .” ये मशहूर शेर कहने वाला मकबूल शायर फिलहाल अपनी याददाश्त से ही जंग लड़ रहा है। हम बात कर रहे हैं इस दौर के सबसे बड़े शायर बशीर बद्र …
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पहले डरती थी एक पतंगे से, मां हूं अब सांप मार सकती हूं
प्रमुख संवाददाता लखनऊ. फिराक बीसवीं सदी के महान शायर थे. खासकर वह अपनी रूमानी शायरी में दिल की नजर से इस दुनिया और दुनियादारी को सामने रखते हैं. गजलगोई में उनका कोई सानी नहीं. यह बात मशहूर शायर हसन कमाल ने कही. वह शायर रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी पर केन्द्रित …
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