जीवन की विभीषिकायें नित नये रूप में सामने आ रहीं हैं। कभी प्राकृतिक दावनल के रूप में तो कभी मानव के कथित विकासात्मक कृत्यों के परिणामस्वरूप महामारी के नये स्वरूप पर जहां विश्व चिंतित है वहीं विनाशकारी हथियारों की होड भी बढती जा रही है। वर्चस्व की कामनायें निरंतर हिलोरें …
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