जुबिली न्यूज़ डेस्क लखनऊ. मैं फूल टाँक रहा हूँ तुम्हारे जूड़े में तुम्हारी आँख मुसर्रत से झुकती जाती है न जाने आज मैं क्या बात कहने वाला हूँ ज़बान खुश्क है आवाज़ रुकती जाती है तसव्वुरात की परछाइयाँ उभरती हैं मेरे गले में तुम्हारी गुदाज़ बाहें हैं तुम्हारे होठों पे …
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