जुबिली न्यूज़ डेस्क नई दिल्ली. सब्र का पैमाना सबका अलग-अलग होता है. सब्र का यह पैमाना बर्दाश्त की कुव्वत से तय होता है. हालात जब नाकाबिल-ए-बर्दाश्त हो जाते हैं तो सब्र का पैमाना छलक जाता है. जब पैमाना छलकता है तो क्रांति के हालात बनते हैं. यह हालात इन दिनों …
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