शबाहत हुसैन विजेता घंटाघर पर एनआरसी के खिलाफ आन्दोलन चल रहा था. बड़ी तादाद में औरतें दिन रात हुकूमत के इस फैसले के खिलाफ आवाज़ बलंद कर रही थीं. हुकूमत की आँखों में यह आन्दोलन किरकिरी सा चुभ रहा था इसलिए पुलिस भी इसे कुचल डालने पर अमादा थी. सरकार …
Read More »Tag Archives: मज़हब
डंके की चोट पर : नदियों में लाशें नहीं हमारी गैरत बही है
शबाहत हुसैन विजेता लाशें तैरती हैं, लाशें बहती हैं, लाशें उतराती हैं. एक ही बात को तीन तरह से कहा गया. बहस शुरू हो गई कि लाश है तो तैरेगी कैसे? वो तो उतरायेगी. टेक्निकली यह बात सही है कि लाश तैर नहीं सकती. इस बात पर कई दशक से …
Read More »