जुबिली न्यूज़ ब्यूरो नई दिल्ली. देश के दफ्तरों में बाबू राज इस हद तक कायम है कि नाइंसाफी किसी के साथ भी हो सकती है. देश की सीमा पर अपनी जान कुर्बान करने वाले सैनिकों की विधवाओं के साथ भी नाइंसाफी हो जाना बहुत आम बात है. नाइंसाफी के बाद …
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डंके की चोट पर : ज़िन्दगी के रंगमंच से विदा नहीं होंगी लता मंगेशकर
शबाहत हुसैन विजेता 27 जनवरी 1963 को नयी दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में भारत-चीन युद्ध में वीरगति प्राप्त करने वाले सैनिकों की याद में स्मृति सभा का आयोजन किया गया था. भारत के राष्ट्रपति डॉ. राधकृष्ण और प्रधानमन्त्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी इस सभा में मौजूद थे. यह सैनिकों …
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