भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया स्वाधीनता के बाद भी देश में दोहरे मापदण्डों का पटाक्षेप नहीं हो रहा है। राजनेताओं, अधिकारियों तथा चर्चित चेहरों के लिए विशेष व्यवस्थायें व्यवहार में आती हैं जबकि आम नागरिक को अपने अधिकारों की सुरक्षित हेतु लम्बी जद्दोजेहद करना पडती है। अंग्रेजों के …
Read More »Tag Archives: भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया
सातवें आसमान पर कायम होते आपराधिक हौसले
देश, काल और परिस्थितियां नित नये रूप में परिवर्तित हो रहीं है। सकारात्मकता से कहीं अधिक नकरात्मकता का बोलबाला हो रहा है। बल के घमण्ड से सत्ता कायम करने की होड लगी है। गांव, गली और गलियारों से लेकर मुहल्लों, मुकामों और महानगरों तक में इसके ताजा उदाहरण देखने को …
Read More »साम्प्रदायिक झंडों के जुनून को राष्ट्रप्रेम की दिशा में परिवर्तित कर गया तिरंगा
आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान घर-घर तिरंगा फहराने की अपील की गई। राष्ट्रभक्ति का दिखावा करने वाले अनेक राजनैतिक दल, संगठन, लोग बेनकाब होने लगे। मनमानी परिभाषाओं से अपनी सोच को छुपाने का फैशन चल निकला मगर देश के युवाओं ने इसे उत्सव के रूप में स्वीकारा। तिरंगा रैलियों …
Read More »