शबाहत हुसैन विजेता मेरे पसंदीदा शायर बशीर बद्र ने लिखा था, “उम्र बीत जाती है एक घर बनाने में, तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में” यह शेर हालांकि उनका खुद का दर्द था. यह शेर मेरठ में हुए दंगे से निकला था. मगर हकीकत की ज़िन्दगी में खुद को …
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‘यादों’ को नई पहचान देने वाले शायर डॉ. बशीर बद्र की याददाश्त गुम
उत्कर्ष सिन्हा “उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए .” ये मशहूर शेर कहने वाला मकबूल शायर फिलहाल अपनी याददाश्त से ही जंग लड़ रहा है। हम बात कर रहे हैं इस दौर के सबसे बड़े शायर बशीर बद्र …
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