वत्सला पाण्डेय 1. प्रेम में डूबी स्त्री याद नही रखती पग के शूलों का याद नही रखती तितली और फूलों का याद नही रखती दिन, दोपहर ,साँझ और रात याद नही रहता उसे सावन, बदरा और बरसात.. प्रेम में डूबी स्त्री रहती है हरदम अलसायी इधर-उधर तलाशती है तनहाई घर …
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