सुरेद्र दुबे एक जमाना था जब अम्मा-बप्पा बच्चों के लिए बहुत बड़ी धरोहर होते थे। भगवान के बाद बच्चे उन्हीं का सम्मान करते थे और उनके हर आदेश को मानना, हर परिस्थिति में उनकी देखभाल करना, उनके जीवन का एक बड़ा लक्ष्य होता था और इसमें महती भूमिका निभाता था …
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