प्रेमेन्द्र श्रीवास्तव सेल…सेल…सेल… मुद्दों की सेल। सामने बोर्ड देखकर मैं चौंका। बात थी भी चौंकाने वाली। मैं उतना ही चौंका जितना मुद्दों की जगह ‘मुर्दों” लिखा देखा होता। किसने खोली? आखिर क्यों खोली गयी? किसके दिमाग का यूनीक स्टार्टअप है? यह पहली है या इस तरह की दुकानों की प्रशांत …
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