डॉ. श्रीश पाठक जाति तथ्य है। जातिवाद तथ्य है। अंतरजातीय विवाह की अस्वीकार्यता तथ्य है। पितृसत्तात्मकता तथ्य है। स्त्री का वस्तु समझा जाना और पुरुष का नियामक समझा जाना तथ्य है। एंथ्रोपोलॉजी एवं डीएनए तक की यात्रा हम मनुष्य कर चुके हैं, लेकिन जाति की माया से भी पुरजोर जकड़े …
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फिल्म थप्पड़ रिव्यू : वी शुड नीड टू रीबूट टूगेदर
डॉ. श्रीश पाठक आँख सचमुच देख नहीं पाती। सब सामने ही तो होता है। दूसरे करते हैं, हम करते हैं, लेकिन जो हम करते हैं, देख कहाँ पाते हैं। ऐसा शायद ही कोई हो, जिसका दावा यह हो कि उसने किसी पति को किसी पत्नी को एक बार भी मारते …
Read More »कश्मीर : सवाल क्या का ही नहीं, कैसे का भी है ?
डॉ. श्रीश पाठक अंग्रेज वो लोग हैं जो यूरोप में देश जर्मनी का उभरना और उनकी ज्यादतियों को महज इसलिए बर्दाश्त करते रहे ताकि फ्रांस की शक्ति को लगातार संतुलित किया जा सके, उन्हें भारत देश की अति महत्वपूर्ण भूराजनीतिक स्थिति का अंदाजा था, वे जानते थे कि तीन तरह …
Read More »EARTH DAY : सभ्यता की दृष्टि सर्वाधिक दरिद्र है, वह विभेद का उत्सव मनाती है
डॉ श्रीश पाठक हमारी देह में भीतर-बाहर अरबों जीव पल रहे। वे हमारे अस्तित्व से अनभिज्ञ होंगे या सम्भवतः उन्हें एहसास भी हो। हमारी यह देह उनके लिए किसी ब्रह्माण्ड से कम नहीं। यह पूरा ब्रह्माण्ड इतना अधिक विशाल है कि यह हमारे कल्पना के अनंत से भी कई गुना …
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