रिपु सूदन सिंह वैश्विक आपदा मे कार्ल मार्क्स को याद करना दुस्साहसिक और चुनौतीपूर्ण कार्य है। आज संकट का एक ऐसा दौर है कि बरबस ही हम अपने पूर्वजों यथा वाल्मीकि, व्यास, चार्वाक, आलर कालाम, पतंजलि, बुद्ध, कन्फ़्यूशियस, लाओत्सी, कौटिल्य, प्लेटो, शंकर, कबीर, गुरुनानक, बुल्ले शाह, हेगल, टोलोस्टोय, विवेकानन्द, गांधी, …
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