अभिषेक श्रीवास्तव बरसों बाद वामपंथियों के खुश होने का मुहूर्त आया है । किसी से भी बात करिये, पता नहीं क्यों सब मन ही मन खुश लग रहे हैं । चेहरे पर भले 370 बजा है, लेकिन दिल में अचानक एक उम्मीद जगी है । यह उम्मीद गहराती आर्थिक मंदी …
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उलटबांसी : जंगल, मंगल और खरमंडल
अभिषेक श्रीवास्तव आज रात नौ बजे कुछ बड़ा होने वाला है। जैसे पिछले सोमवार कुछ बड़ा होने वाला था। पूरा सावन बड़े-बड़े के चक्कर में कट गया। पिछला पांच साल बड़े के चक्कर में कट गया। हर बड़े के बाद अगला नया बड़ा। अंग्रेज़ी में क्या कहते हैं- द नेक्ट्स …
Read More »उलटबांसी : सावन के आखिरी सोमवार का इंतज़ार
अभिषेक श्रीवास्तव दस दिन बाहर रह के लौटा तो पहले चौराहा चक्रमण में ही पंडीजी दिख गए। दाढ़ी बेतरतीब बढ़ी हुई। आंखों के नीचे काले गड्ढे। कोटरों में पुतलियां कुछ धंसी हुई सी। चेहरे पर सन्नाटा। क्या हालचाल महराज? जय श्रीराम भइया- हमेशा की तरह सधा हुआ सीधा जवाब आया। …
Read More »उलटबांसी : चंद्रयान मने कवियों का आपातकाल
अभिषेक श्रीवास्तव चंद्रयान गया। पिंड छूटा। कुछ इस तर्ज पर इसरो के वैज्ञानिकों के चेहरे से खुशी छलक रही थी। दुखी तो मीडिया वाले थे। वे कैमरा ताने हुए थे। बीच में बादल आ गया। छुप गया यान। सारी तैयारी बेकार। हो सकता है चौधरी जी मोटरसाइकिल लेकर पीछे निकल …
Read More »उलटबांसी : यूरेका यूरेका… मिल गया चुनाव आयोग का विकल्प
अभिषेक श्रीवास्तव होमियोपैथी का बुनियादी सिद्धांत है कि जहां मर्ज़ है, दवा भी वहीं है। भौतिकी में इसे कहते हैं कि किसी कार्य का कारण आउट ऑफ फ्रेम नहीं होता। समाज और दर्शन वाला कहेगा कि जवाब वहीं है जहां सवाल है। अगर ऐसा वाकई है, तो जवाब मिलता क्यों …
Read More »उलटबांसी : लोकतंत्र का सांगोपांग ‘मोमेंट’
अभिषेक श्रीवास्तव ‘’लोकतंत्र में विपक्ष का होना, विपक्ष का सक्रिय होना, विपक्ष सामर्थ्यवान होना, ये लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त है। और मैं आशा करता हूं कि प्रतिपक्ष के लोग नंबर की चिंता छोड़ दें। देश की जनता ने उनको जो नंबर दिया है, दिया है, लेकिन हमारे लिए उनका हर …
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