उत्कर्ष सिन्हा “उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए .” ये मशहूर शेर कहने वाला मकबूल शायर फिलहाल अपनी याददाश्त से ही जंग लड़ रहा है। हम बात कर रहे हैं इस दौर के सबसे बड़े शायर बशीर बद्र …
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