फूल भला क्यों प्रेम करेगा कौन गायेगा कोयल राग उपवन मे जब पतझर होगा, कहां पियेगा भ्रमर पराग। वासना से कब मिलता है, प्रियतम का अविनाशी विश्वास हास नही बस पीड़ा मे है जीवन का नैसर्गिक उन्माद, पीड़ा मे संगीत बसा है, कैसे करूं उसका प्रतिवाद। नि:श्वासों मे मलय समीर …
Read More »Tag Archives: अशोक श्रीवास्तव
कलाई मे कंगन झिलमिला जाने दोधुली चांदनी को खिलखिला…!
कलाई मे कंगन झिलमिला जाने दो धुली चांदनी को खिलखिला जाने दो गीत रोता रहा मरमरी सांझ में दम सिसकता रहा गात की गांठ मे उडगनों से भरा अभ्र इठला गया रूप पलता गया पतझरी मांग मे पथ रोको नही मोड़ आजाने दो बस ठहरो जरा दीप मुसकाने दो। बरसते …
Read More »तुम बदले हम नहीं बदले,न बदला ये…!
तुम बदले हम नहीं बदले, न बदला ये संसार, वचन निभाना मुझको आता, वचन दिया उपहार। आंधी अंधड़ अक्सर आते, उड़ जाते पत्ते, नीरद नभ मे पावस से, जोड़ रहा रिश्ते। पवन के झोंकों का पागलपन, न रोके बौछार। रजत किरन मे मेरी छाया, तू बनकर आती, लेकिन घोर अंधेरा …
Read More »