जयनारायण प्रसाद पिछले साल दुर्गापूजा उत्सव के बीच पटना जाना हुआ था। साथ में मित्र धर्मेंद्र कुमार माहुरी भी थे। नरेन को फोन किया, तो कहने लगा- मेरे यहां ही ठहरना होगा। उसकी जिद् के आगे नतमस्तक था। पूरे एक दिन और एक रात उसके घर ही था। खूब बातचीत …
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