आकृति विज्ञा ‘अर्पण’ (युवा कवियत्री) जिक्र तेरा करते करते अंधियारे का छँट जाना आँखों की दोनों बत्ती का लैंप सरीखा उग जाना मितवा तेरे साथ लिखूं आधार उम्मीदों की नगरी तूने ही तो सिरजी मुझमें प्यार उम्मीदों की नगरी चेतन की बत्ती मन में लैंप भरोसे का जगमग अवचेतन भी …
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कहानी : ….और वो मर गया
शुभ्रा सुमन “..वो मर गया ” “कौन.. कौन मर गया..” “अ.. आह.. देखो.. देखो क्या हो गया.. ” “क.. क्या.. क्या बोल रहे हो काका.. क्या हुआ..” “बुरा हुआ है.. बहुत बुरा.. उसको मरना नहीं था..” ये कहते – कहते काका की आंखें बन्द होने लगीं.. नींद की …
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