जरा सोचिए… ये चाय न होती तो क्या होता? क्या क्या नहीं होता। सबसे पहले तो यही है कि हमारे सशक्त प्रधानमंत्री हमें नहीं मिले होते। कुंआरी कन्याएं होने वाले पति के आगे क्या लेकर जातीं?… लोग मेहमानों को गर्मियों में शिकंजी, छाछ और लस्सी तो पिला देते लेकिन जाड़े …
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व्यंग्य /बड़े अदब से : इश्क का वो पुराना जमाना
आय हाय, रश्क होता है इस फाइव जी जमाने से। प्रेमी प्रेमिका आमने सामने मुंह देखी बात कर रहे हैं। व्हाटअप, इंस्टा, ट्विटर व फेसबुक पर हाले दिल बयां कर रहे हैं। शोना, बेबी, जानू और बाबू की न खत्म होने वाली बहार है। अपना भी क्या जमाना था। सिर्फ …
Read More »व्यंग्य/ बड़े अदब से : स्टार प्रचारक का दर्द
वे फायर ब्रांड स्टार प्रचारक रहे हैं। लोगों की तूती बोलती है उनकी जूती बोलती है। जिस भी पार्टी में रहे उसे छोड़ बाकी के खिलाफ ऐसी-ऐसी आग उगली की पार्टियां फुंक जातीं। उनके पीछे आदमी लगा दिये जाते। उनकी कमजोरी पता की जाती। जो जग जाहिर थीं, का फायदा …
Read More »व्यंग्य/ बड़े अदब से : चायखाने में वैक्सीन पर चर्चा
मुझे चाय बोले जब देर हो गयी और उसके दर्शन नहीं हुए तो मैंने याद दिलाने के लिए फिर से अपने आर्डर हो रही देरी की कम्पलेन की। वह बोला, ‘रखी वाली आप पीते नहीं, बढ़िया और ताजी पीनी हो तो समय दिया करें जनाब।” ‘ठीक है ताजी बनाओ।” तभी …
Read More »व्यंग्य /बड़े अदब से : माटी की सिफत
आज किस्सागोई का मूड है। तो शुरू करते हैं एक अनाम लखनवी नवाब साहब की कहानी। एक नाजुक दिल नवाब साहब थे। उनकी चार बेगमें थीं। पर सबसे छोटी बेगम उन्हें बहुत ही प्यारी थीं। एक पल भी उन्हें अपनी नजरों से दूर नहीं होने देते। वे उनका पूरा ख्याल …
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