उत्कर्ष सिन्हा 4 जनवरी की उस दोपहरी में थोड़ी ठण्ड भी थी और हलकी सी धूप भी.. स्टेज सजा हुआ था.. ….नीरज जी स्मृतियों के पुराने मकान के कमरों के ताले खोल रहे थे…. “ देव (देव आनंद) बहुत परेशान था, वो मिजाज से बहुत रोमांटिक था इसलिए अपनी फिल्मो …
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बुन्देलखण्ड के इस कवि को क्यों कहते हैं ‘गीतों का दानवीर कर्ण’
डॉ अभिनंदन सिंह भदौरिया वैसे तो बुंदेलखंड का नाम आते ही चन्देल राजाओं के युद के दृश्य लोगों के मस्तिष्क में उभर आते हैं, लेकिन शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि इसी बुंदेलखंड में एक ऐसा गीतकार भी हुआ जिसने अपने गीतों से न सिर्फ फिल्मिस्तान को बल्कि देश …
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