उत्कर्ष सिन्हा “उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए .” ये मशहूर शेर कहने वाला मकबूल शायर फिलहाल अपनी याददाश्त से ही जंग लड़ रहा है। हम बात कर रहे हैं इस दौर के सबसे बड़े शायर बशीर बद्र …
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नयी दृष्टि और भारतीयता के वाहक थे फिराक
प्रमुख संवाददाता लखनऊ. फिराक हिन्दुस्तानी संस्कृति की रूह के विशिष्ट शायर थे. कई भाषाओं के विद्वान भाषण कला में अद्वितीय और गद्य व पद्य दोनों में माहिर थे. उर्दू शायरी के इतिहास में उनका और उनके समय का खास अध्याय है. यह बात अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में दिल्ली विश्वविद्यालय के …
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