डा. रवीन्द्र अरजरिया अतीत की मान्यताओं को स्वीकारना सुखद होता है। पुरातन परम्पराओं को रूढियां बनने की स्थिति से बचाने के प्रयास जीवित होते हैं। सकारात्मक पक्षों का प्रत्यक्षीकरण होता है। यही कारण है कि बाह्य आक्रान्ताओं ने सबसे पहले हमारी संस्कृति से जुडे संस्कारों पर कुठाराघात किया। शक्ति के …
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अतीत को स्वीकारे बिना मिथ्या है सुखद भविष्य की कल्पना
डा. रवीन्द्र अरजरिया बीती स्मृतियों के सुखद स्पन्दन के साथ मानवीय भावनायें आनन्द के हिंडोले पर उडान भरतीं है। अतीत की दस्तक वर्तमान के दरवाजे पर हौले से होती है जिसे अन्तःकरण की अनुभूतियों से ही अनुभव किया जा सकता है। सफल जीवन के सूत्रों को उदघाटित करने वाली पुस्तक …
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