न्यूज डेस्क
देश में लॉकडाउन का आज 11वां दिन है। इसके बाद भी लगातार कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मरीज महाराष्ट्र और दिल्ली में मिले हैं। वहीं निजामुद्दीन के मरकज में शामिल लोगों ने देश की चिंता और बढ़ा दी है। तब्लीगी जमात की करतूतों के कारण कोरोना वायरस का कहर लंबा खिंच सकता है।
बताया जा रहा है कि भारत में इसका खतरनाक असर अप्रैल के अंतिम हफ्ते या मई के पहले हफ्ते में दिखने को मिल सकता है। सरकार की माने तो कोरोना के खिलाफ लड़ाई में काफी हद तक सफलता मिल रही थी, लेकिन तबलीगी जमात ने सारी उपलब्धियों पर पानी फेर दिया।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि पिछले दो दिनों में तबलीगी जमात से जुड़े कोरोना के 647 मरीज सामने आए हैं। अकेले उत्तर प्रदेश में करीब 80 लोग जमात में शामिल लोग संक्रमित पाए गए हैं। आगरा में 25 और कोरोना वायरस पॉजिटिव मामलों की पुष्टि, जिले में कुल मामलों की संख्या 45 हो गई। आगरा के जिला मजिस्ट्रेट प्रभु एन सिंह ने इसकी जानकारी दी है।
25 more #Coronavirus positive cases confirmed in Agra, taking the total number of cases to 45 in the district: Agra District Magistrate Prabhu N Singh
— ANI UP (@ANINewsUP) April 4, 2020
राजस्थान के बीकानेर में कोरोना वायरस से संक्रमित एक 60 वर्षीय महिला मरीज का आज निधन हो गया। राजस्थान में 12 नए मामलों की पुष्टि हुई है। राज्य में कुल मामले 191 हो गए हैं। इसमें से 41 तब्लीगी जमात (दिल्ली) में शामिल हुए थे। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इसकी जानकारी दी है।
शुक्रवार को विशाखापत्तनम में कोरोना वायरस के चार और मामले सामने आए। राज्य प्रशासन के अनुसार यहां अभी तक 164 मामलों की पुष्टि हो गई है। जिला प्रशासन ने कहा कि विशाखापत्तनम के कई लोग नई दिल्ली में निजामुद्दीन तब्लीगी मरकज में शामिल हुए थे। चारों मरीज मरकज में शामिल हुए थे।
समस्या यह है कि तब्लीगी जमात के कोरोना से ग्रसित लोग सिर्फ कुछ स्थानों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि 14 राज्यों अंडमान निकोबार, दिल्ली, असम, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश में तबलीगी जमात से संबंधित कोरोना के मरीज मिले हैं। आने वाले समय में तब्लीगी जमात के कोरोना ग्रसित लोगों के संपर्क में आने वालों और फिर उनके साथ संपर्क में आने वालों में भी बहुत सारे इससे ग्रसित मिल सकते हैं।
तब्लीगी जमात के कारण मरीजों की संख्या में तेज बढ़ोतरी का हवाला देते हुए आइसीएमआर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने आशंका जताई कि कोरोना से ग्रसित मरीजों की संख्या और तेज गति से बढ़ सकती है। इसके चरम पर पहुंचने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि यह अप्रैल के अंत या फिर मई में देखने को मिल सकता है।
यानी उसके बाद ही कोरोना के मरीजों की संख्या में कमी आनी शुरू होगी। उनके अनुसार अगला एक हफ्ता भारत के लिए अहम साबित होगा और उसके बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी। उन्होंने कहा कि अगले एक हफ्ते में यह पता चलेगा कि तब्लीगी जमात के लोग अपने संपर्क में आने वाले कितने लोगों तक इस वायरस को पहुंचा चुके हैं। इसके आधार पर होगा कि यह चेन आगे कहां तक जाएगा।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के चेन को तोड़ने में वक्त लगता है और इसी आधार पर उसके अप्रैल के अंत तक चरण में पहुंचने का अनुमान है। भारत में गर्मी के बढ़ने और लोगों को बचने में ही टीबी के बीसीजी टीका लगे होने के कारण पड़ने वाले असर के बारे में उनका कहना था कि इस तरह की कई थ्योरी दी जा रही हैं, लेकिन उनकी वैज्ञानिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है।
यह एक नया वायरस है और विभिन्न चीजों पर यह कैसे प्रतिक्रिया करता है, इसपर वैज्ञानिक शोध होना बाकी है। वहीं लव अग्रवाल ने कहा कि तब्लीगी जमात के मरीजों को छोड़ दें तो लॉकडाउन के कारण कोरोना के वायरस के फैलने से रोकने में काफी हद तक सफलता मिली है और इसके परिणामस्वरूप नए मरीजों की बढ़ोतरी 50 फीसदी से अधिक तक कम रही है। आइसीएमआर ने अपने गणितीय माडलिंग में भी यही अनुमान लगाया है।