न्यूज डेस्क
तबरेज अंसारी को न तो भीड़ ने मारा, न ही डॉक्टरों ने मारा और न ही पुलिस ने। तबरेज को इस देश के सिस्टम नेमारा है। वह सिस्टम जहां किसी को कोई डर नहीं। वह किसी को भी शक के आधार पर पकड़ लेता है और खंभे से बांधकर उसकी पिटाई करता है। और तो और उसकी वीडियो बनाता है और लोगों में डर बनाने के लिए वीडियो वायरल करता है।
तबरेज को उस सिस्टम ने मारा है जहां की पुलिस सूचना के बाद भी कभी समय पर नहीं पहुंचती। जब उम्मीद दम तोड़ जाती है तब पुलिस तमाशबीन बनकर पहुंचती है।
तबरेज को उस सिस्टम ने मारा है जहां के डॉक्टर सरकार से हर महीने पगार तो लेते हैं लेकिन अस्पताल में तड़पते मरीज को छोड़कर चल देते हैं।
तबरेज उस सिस्टम का शिकार हुआ जहां के डॉक्टरों को अस्पताल से ज्यादा अपनी क्लीनिक पर मरीज देखने की जल्दी होती है। और सबसे बड़ी बात, तबरेज को सिस्टम ने हमारी मरी हुई संवेदना ने मारा है।
24 साल के तबरेज अंसारी पिछले महीने चर्चा में थे। तबरेज की जिस तरह मौत हुई थी उस पर मलाल सभी को था। अधिकांश लोगों ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। तबरेज के परिवार से लोगों ने संवेदना भी व्यक्त की। लेकिन सवाल उठता है कि जब तबरेज की मौत पर सभी को मलाल था तो कुछ ही दिनों बाद देश के अन्य हिस्सों में मॉब लिंचिंग की घटनाएं क्यों हुई।
तबरेज अंसारी की मौत के मामले में एक रिपोर्ट आई है। तीन सदस्यों की एक जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तबरेज अंसारी की मौत पुलिस और डॉक्टरों की लापरवाही से हुई थी।
सब डिविजनल अधिकारी और जिला सिविल सर्जन के सदस्यों वाले इस दल का यह भी कहना है कि भीड़ द्वारा तबरेज अंसारी के साथ मारपीट किए जाने की सूचना पुलिस को मिल चुकी थी लेकिन फिर भी पुलिस देरी से मौके पर पहुंची थी।
यह भी पढ़ें : कांग्रेसी आत्माओं का अनोखा खेल
यह भी पढ़ें : कुमारस्वामी के फ्लोर टेस्ट के बयान से क्यों बढ़ी बीजेपी की चिंता
गौरतलब है कि 18 जून को झारखंड के सरायकेला खरसावां में मुस्लिम युवक तबरेज अंसारी (24) को भीड़ ने चोरी के आरोप में कथित तौर पर बेरहमी से पीटा गया था और उससे जबरन ‘जय श्री राम’, ‘जय हनुमान’ के नारे लगवाए गए थे।
जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दो पुलिस अधिकारियों को इस मामले में निलंबित किया जा चुका है और दोषी डॉक्टरों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
सरायकेला खरसावां के पुलिस उपायुक्त अंजनेयुलु डोड्डे ने कहा, ‘पुलिस और डॉक्टरों की तरफ से लापरवाही हुई है। पुलिस जहां घटनास्थल पर देर से पहुंची, वहीं डॉक्टर सिर में लगी चोट का पता नहीं लगा पाए।’
पुलिस उपायुक्त तीन सदस्यों वाले प्रशासनिक जांच दल का नेतृत्व कर रहे हैं। डोड्डे की बात का समर्थन करते हुए एक सिविल सर्जन ने कहा कि एक्स-रे और पूरे शरीर की जांच होनी चाहिए थी लेकिन यह जांच नहीं की गयी क्योंकि सिर पर चोट के निशान नहीं थे।
इस सिविल सर्जन का तबादला इस घटना के बाद खूंटी कर दिया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पुलिस ने समय पर कोई मुस्तैदी नहीं दिखाई थी।
यह भी पढ़ें : श्राप नहीं है बेटी होना, इस बात को अपनाने दो
यह भी पढ़ें : तो क्या तीसरे मोर्चे से अखिलेश-शिवपाल की फिर बनेगी जोड़ी
रिपोर्ट में कहा गया है कि 18 जून की रात पुलिस को इस घटना के बारे में जानकारी मिली लेकिन उन्होंने सुबह छह बजे के बाद ही इस पर कार्रवाई की। जांच टीम ने बताया कि अंसारी के विसरा की जांच के लिए उसे रांची में फॉरेसिंक विभाग भेजा गया है ताकि मौत की वास्तविक वजह का पता लग सके।