जुबिली न्यूज डेस्क
पश्चिम बंगाल चुनाव से ठीक पहले ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है। टीएमसी मे नंबर दो की पोजिशन रखने वाले शुभेंदु अधिकारी ने ममता से नाता तोड़ने का मन बना लिया है। बता दें कि ममता बनर्जी के सबसे करीबी माने जाने वाले दिग्गज टीएमसी नेता शुभेंदु अधिकारी करीब 30 से 40 सीटों पर अच्छा प्रभाव रखते हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता शुभेंदु अधिकारी ने न सिर्फ मंत्री और विधायक पद से इस्तीफा दिया है, बल्कि मुख्यमंत्री ममता के खिलाफ गुटबाजी भी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि अगर टीएमसी के नाराज नेता एक साथ आ गए और शुभेंदु अधिकारी मिल गए तो पश्चिम बंगाल में ममता को किले पर खतरा बढ़ सकता है।
शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी की टीएमसी से जितने भी नेता नाराज चल रहे हैं, सबको एक एकजुट करने की कवायद में जुट गए हैं। तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता शुभेंदु अधिकारी ने विधायक पद से इस्तीफा देने के कुछ घंटे बाद बुधवार को सांसद सुनील मंडल और आसनसोल नगर निगम के प्रमुख जितेंद्र तिवारी समेत पार्टी के असंतुष्ट नेताओं के साथ मुलाकात की। बंद कमरे में हो रही बैठक शाम सात बजे शुरू हुई और देर रात तक जारी रही।
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शुभेंदु अधिकारी पश्चिम बर्द्धमान जिले में कांकसा में मंडल के आवास पर उनसे मिलने गए थे। सूत्रों ने बताया कि बर्द्धमान पूर्व लोकसभा क्षेत्र के दो बार के सांसद मंडल ने अधिकारी का स्वागत किया और उन्हें भीतर ले गए।
हालांकि, बंद कमरे में नाराज टीएमसी नेताओं के बीच क्या बातें हुईं, अभी तक यह बाहर नहीं आ पाया है। वह सुबह में अधिकारी के समर्थन में सामने आए थे और शिकायतों को दूर नहीं करने के लिए पार्टी पर दोष मढ़ा था। बता दें कि दिन में ही विधायक पद से इस्तीफा देकर शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को बड़ा झटका दिया था।
राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि शुभेंदु अधिकारी जल्द ही बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। चर्चा ये भी है कि गृहमंत्री अमित शाह के अगले पश्चिम बंगाल के दौरे के दौरान शुभेंदु अधिकारी उनसे मिलेंगे और सब कुछ सही रहा तो उनकी मौजदूगी में ही पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं।
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मंत्री पद और विधायकी से इस्तीफा देने के बाद अब माना जा रहा है कि शुभेंदु अधिकारी जल्द ही पार्टी की प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ देंगे।इससे पहले बुधवार को दोपहर बाद विधानसभा पहुंचे अधिकारी ने हाथ से लिखा हुआ त्याग पत्र सचिवालय को सौंपा। स्पीकर बिमन बनर्जी दफ्तर में मौजूद नहीं थे। कभी ममता बनर्जी के बेहद खास रहे और नंदीग्राम में टीएमसी का उदय कराने वाले शुभेंदु अधिकारी का करीब 50 विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रभाव माना जाता है।
टीएमसी के वरिष्ठ नेताओं ने निजी रूप से बताया कि अधिकारी ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से नाखुश हैं, जिन्हें 2019 चुनाव में बीजेपी को मिली बड़ी सफलता के बाद उतारा गया।
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अमित शाह 19 और 20 दिसंबर को बंगाल में रहेंगे। वह कम से कम तीन जिलों में रैलियों को संबोधित करेंगे, जिनमें पूर्वी मिदनापुर भी शामिल है, जहां अधिकारी, उनके पिता और दो भाई दो लोकसभा क्षेत्रों और एक विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। सिविक बॉडी का प्रतिनिधित्व भी अधिकारी परिवार के पास ही है। शुभेंदु नंदीग्राम सीट से विधायक हैं।
बताते चले कि शुभेंदु अधिकारी की ममता बनर्जी से बगावत की तस्वीर उस वक्त सामने आई, जब उन्होंने नंदीग्राम में एक रैली को संबोधित किया, जहां आज से 13 साल पहले पार्टी कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई थी। इसी की याद में हुए कार्यक्रम में नंदीग्राम में शुभेंदु ने सभा को संबोधित किया।
इसी नंदीग्राम की घटना ने ममता बनर्जी को बंगाल की कुर्सी तक पहुंचाया था। उस रैली में शुभेंदु ने कहा था कि पत्रकार और राजनीतिक पर्यवेक्षक मेरे राजनीतिक कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए मेरा इंतजार कर रहे हैं। वे मुझे उन बाधाओं के बारे में बात करते हुए सुनना चाहते हैं जो मैं झेल रहा हूं और जो रास्ता मैं लेने जा रहा हूं। मैं इस पवित्र मंच से अपने राजनीतिक कार्यक्रम की घोषणा नहीं करूंगा।
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दरअसल, शुभेंदु बंगाल में काफी ताकतवर राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनका प्रभाव न सिर्फ उनके क्षेत्र पर है, बल्कि पूर्वी मिदनापुर के अलावा आस-पास के जिलों में भी उनका राजनीतिक दबदबा है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी के भतीजे और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी से नाराज चल रहे हैं।
इसके अलावा, जिस तरह से प्रशांत किशोर ने बंगाल में संगठनात्मक बदलाव किया है, उससे भी वह नाखुश हैं। साथ ही शुभेंदु अधिकारी चाहते हैं कि पार्टी कई जिलों की 65 विधानसभा सीटों पर उनकी पसंद के उम्मीदवारों को मैदान में उतारे।
दो बार सांसद रह चुके शुभेंदु अधिकारी का परिवार राजनीतिक तौर पर काफी मजबूत है। पूर्वी मिदनापुर को कभी वामपंथ का गढ़ माना जाता था मगर शुभेंदु ने अपनी रणनीतिक कौशल से बीते कुछ समय में इसे टीएमसी का किला बना दिया है। अगर वह टीएमसी से बाहर होते हैं तो ममता बनर्जी को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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यही वजह है कि बीजेपी शुभेंदु अधिकारी को अपने पाले में लाना चाहती है। अगर शुभेंदु बीजेपी ज्वाइन कर लेते हैं तो पार्टी उन्हें संगठन में बड़ा पद दे सकती है और ममता के खिलाफ बीजेपी का चेहरा बना कर सामने खड़ा सकती है।
शुभेंदु अधिकारी के भाई दिब्येंदु तमलुक से लोकसभा सदस्य हैं, जबकि तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे सौमेंदु कांथी नगर पालिका के अध्यक्ष हैं। उनके पिता सिसिर अधिकारी टीएमसी के सबसे वरिष्ठ लोकसभा सदस्य हैं, जो कांथी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
नंदीग्राम आंदोलन की लहर पर सवार होकर शुभेंदु 2019 में तमलुक सीट से लोकसभा चुनाव जीते थे। इसके बाद वह 2014 भी वह जीते। बंगाल विधानसभा चुनाव में जीतने के बाद उन्हें ममता कैबनिनेट में परिवहन मंत्री बनाया गया।
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बताया जाता है कि न सिर्फ पूर्वी मेदनीपुर जिला बल्कि मुर्शिदाबाद और मालदा में भी उन्होंने कांग्रेस को कमजोर करने और टीएमसी को मजबूत करने के लिए काम किया है। क्योंकि वह ग्रासरूट लेवल के नेता हैं, इसलिए बीते कुछ समय में उनकी स्वीकार्यता भी काफी बढ़ी है।
उन्हें मेदिनीपुर, झारग्राम, पुरुलिया, बांकुरा और बीरभूम जिलों में टीएमसी के आधार का विस्तार करने का भी श्रेय दिया जाता है। इस तरह से राजनीतिक पंडितों का मानना है कि शुभेंदु अगर टीएमसी से अलग होते हैं तो इसका असर काफी सीटों पर दिख सकता है। यानी शुभेंदु बंगाल में ममता की करीब 30 से 40 सीटें खराब करने की क्षमता रखते हैं।