रूबी सरकार
मध्य प्रदेश में होने वाले 28 उपचुनावों में सबसे ज्यादा सुर्खियों में सागर जिले का सुरखी विधानसभा क्षेत्र है । यहां कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे और फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए गोविंद सिंह राजपूत और भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुईं पारूल साहू के बीच मुकाबला है।
शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का यह मजबूत गढ़ है और उनके सामने इस उपचुनाव में कड़े मुकाबले में अपनी सीट बचाना जरूरी है।
इस उपचुनाव में एक तरह से उनका राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लगा है। राजपूत वर्ष 1998 से लेकर वर्ष 2018 के बीच हुए पांच चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में रहे हैं और इनमें से तीन चुनाव उन्होंने जीत भी दर्ज की है, जबकि दो चुनाव वे मात्र 200 से वे पीछे रहे हैं। कांग्रेस पार्टी का यह मानना है, कि यह कांग्रेस का मजबूत गढ़ है , वहीं राजपूत इसे अपना मजबूत किला मान रहे हैं।
इस तरह अगर राजपूत यहां से विजयी होते हैं, तो फिर यह उनका किला माना जाएगा। उल्लेखनीय है, कि गोविंद सिंह राजपूत युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहने के साथ ही पार्टी में कई जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं और वह सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके पिता माधवराव सिंधिया के अति विश्वासपात्र रहे हैं, वे ज्योतिरादित्य के साथ भाजपा में शामिल हुए, इसलिए सिंधिया के लिए राजपूत को जिताना प्रतिष्ठा का सवाल है।
भाजपा में जाने के बाद राजपूत पूरी तरह से भगवा रंग में रंगे नजर आने लगे हैं और अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बनने वाले भव्य राम मंदिर के लिए शिला पूजन का सिलसिला सबसे पहले उन्होंने ही चालू किया और जगह-जगह शिला यात्राएं अपने निर्वाचन क्षेत्र में निकली, जिसे काफी जन समर्थन भी मिला। लेकिन चुनाव में इसका कितना लाभ मिलेगा, यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा ।
राजपूत से अपने संबंध मधुर न होने के कारण कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए राजेंद्र सिंह मोकलपुर ,जो वर्ष 2008 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के रूप में गोविंद सिंह से पराजित हुए थे , बदले हुए हालात में आज वे राजपूत के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। इसी तरह उनसे एक चुनाव हारे और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विश्वासपात्र नगरीय प्रशासन एवं विकास तथा आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह भी राजपूत की मदद कर रहे हैं।
बावजूद इसके राजपूत का पलड़ा तभी भारी हो सकता है, जब भाजपा कार्यकर्ता और स्थानीय नेता उनके साथ खड़े हों। मतदाता बताते हैं, कि पंद्रह माह के मंत्री पद के रुतबे के चलते उन्होंने कई लोगों को नाराज किया है।
जमीनी हालातों के अनुसार राजपूत के लिए सुरखी सीट निकाल पाना इस दफा बहुत आसान नहीं है। इसके लिए उन्हें कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। इधर कांग्रेस की ओर से पारुल साहू को भाजपा से कांग्रेस में लाकर नहले पर दहला लगाने की कोशिश की जा रही है।
इस तरह यह चुनावी मुकाबला कांटे की टक्कर जैसा है। पारुल साहू भाजपा से कांग्रेस में आई जरूर हैं लेकिन एक तो वह पहले राजपूत को शिकस्त दे चुकी हैं और दूसरी तरफ वह कांग्रेस परिवार से ही हैं।
उनके पिता संतोष साहू कमलनाथ के भी पुराने परिचित हैं। पूर्व मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस के कद्दावर राष्ट्रीय नेता अर्जुन सिंह के पक्के समर्थक रहे हैं । पारूल के पिता विधायक भी रह चुके हैं।
पारुल साहू ने कांग्रेस परिवार में शामिल होते हुए कहा, कि पिछले डेढ़ 2 साल से सुरखी में डर और अहंकार का माहौल बना दिया गया है और मेरी लड़ाई डर और अहंकार के खिलाफ है। विधायक के रुप में अपनी उपलब्धियों के बारे में पारुल कहती हैं कि 9 सिंचाई परियोजनाएं, जैसीनगर तहसील और 22 स्कूल खुलवाने में उनकी अहम भूमिका हैं।
विधायक की हैसियत से उन्होंने अपने क्षेत्र में कई सड़कें-व पुल बनवाए हैं। वहीं गोविंद सिंह राजपूत का कहना है, कि उन्होंने क्षेत्रीय विकास की खातिर ही कांग्रेस को छोड़ा और भाजपा का दामन थामा है।
पिछले पांच महीने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 500 करोड़ रुपए के विकास कार्य मंजूर किए हैं। सुरखी क्षेत्र में पिछले पांच चुनावों का रुझान देखा जाए तो वर्ष 1998 में भाजपा के भूपेंद्र सिंह ने कांग्रेस के गोविंद सिंह राजपूत को 193 मतों के अंतर से पराजित किया था।
हालांकि वर्ष 2003 में गोविंद सिंह ने अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा पुनः अजित कर ली और वे भाजपा के भूपेंद्र सिंह को 13 हजार 865 मतों के अंतर से पराजित किया। इसी तरह राजपूत ने वर्ष 2008 में भी भाजपा के राजेंद्र सिंह मोकलपुर को 12 हजार, 438 मतों के अंतर से पराजित कर दिया। लेकिन वर्ष 2013 के चुनाव में वह भाजपा की पारुल साहू से 141 मतों के मामूली अंतर से चुनाव हार गये।
वर्ष 2018 के चुनाव में गोविंद सिंह राजपूत ने पूर्व सांसद प्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मी नारायण यादव के बेटे सुधीर यादव , जो भाजपा के प्रत्याषी थे, उन्हें 27 हजार, 418 मतों के अंतर से करारी शिकस्त दी थी। अब इस उपचुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा, कि क्या गोविंद सिंह , कांग्रेस की प्रत्याशी पारूल साहू को पराजित कर पाते है!