Saturday - 26 October 2024 - 9:52 AM

चुनौतियों और सम्भावनाओं के महासमर के सामने नतमस्तक

सुरेन्द्र राजपूत

चुनौतियों और सम्भावनाओं के महासमर के सामने असफल होकर नतमस्तक होने के तीन वर्ष उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पूरे कर लिए है । उत्तर प्रदेश की जनता ने बड़े ही विश्वास के साथ भारतीय जनता पार्टी की ओर बहुमत दिया था,जिस विश्वास में वह ठगी हुई महसूस कर रही है । हमेशा सरकारें आती जाती हैं और अच्छे बुरे काम उनके ऊपर चस्पा हुआ करते हैं मगर इतिहास में ऐसी असफल सरकारें कम ही देखने को मिलती हैं जो अपने तीन वर्ष के कार्यकाल में कोई भी काम को सौ प्रतिशत पूरा न कर सकी हों ।

इस मामले में आदित्यनाथ सरकार पहली ही सरकार होगी क्योंकि जिस भी काम का वह दावा करती है, वह सब भविष्य के सुनहरे कपड़े में लपेटे हुए हैं, वर्तमान में बताने को कुछ भी नही है, चाहे कानून व्यवस्था हो,चाहे इंफ्रा हो,चाहे रोज़गार हो,चाहे किसान हो,चाहे महिला सुरक्षा हो,हर तरफ केवल एक बड़ा शून्य है ।

लाखों शिक्षा मित्रों के भविष्य को अंधेरे में ढकेलने से शुरू होने वाली सरकार अपने पहले ही साल गोरखपुर में सैकड़ों मासूम बच्चों की मौत की कालिख़ खुद के माथे से कभी नही पोछ सकती है । असफ़लता और लापरवाही की यह शुरआत है कि आजतक उसकी जाँच किसी अंजाम तक नही पहुँची । जनता ने इसका हिसाब उनको उनके ही गृहजनपद गोरखपुर उपचुनाव में हराकर दे दिया । आज भी उन बच्चों के मां बाप का दर्द उतना ही गहरा है, यह चमचमाते विज्ञापनों से कम नही हो सकता है ।

किसानों की कर्ज़माफी हो या गन्ना मूल्य का भुगतान,इसमे कोई आधारभूत परिवर्तन नही हुए हैं । आज भी गन्ना किसान भुगतान का इंतेज़ार ही कर रहे हैं । आकड़ो से खेल अधिकारियों के लिए तो हो सकता है मगर जनता के प्रतिनिधि इससे नही खेला करते मगर दुःखद है कि मुख्यमंत्री स्वयं फ़र्ज़ी आंकड़ों की बाज़ागीरी में उलझे हैं । ज़मीन पर उतर कर देखें कि आज किसान अपने जीवन के सबसे कठिन दौर में आ गया है । खड़ी फसल आवारा जानवर चर रहें और अगर किसी प्रयत्न से वह फसल बचा ले जाएं तो बारिश और ओला से सब मटियामेट,मुआवजों के नाम पर केवल कोरी बयानबाज़ी ।

उत्तर प्रदेश सरकार राहत तो क्या ही देती बल्कि खाद कि बोरी से खाद की मात्रा घटा दी गई । किसानों का न कोई सुनने वाला है और न ही सत्ता के मद में चूर लोगों को उनकी कोई फिक्र है ।
किसानों को कुछ राहत देने की जगह करोणों रुपये फूंककर उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स सम्मिट हुई थी । जिसमे करोणों के निवेश के छलावे भरे आँकड़े उछाले गए थे । अब मुख्यमंत्री जी उत्तर प्रदेश की जनता को बताएं कि जो निवेश आया था, उससे कोई काम प्रदेश में शुरू भी हुआ है या सिर्फ हवा हवाई बातें ही हुई हैं । फ़िल्म सिटी जैसे पूर्व सरकारों के काम ठंडे बस्ते में हैं, निवेश से एक भी ईंट उत्तर प्रदेश में नही रखी गई ।

अक्सर मुख्यमंत्री लखनऊ मेट्रो के क्रेडिट के लिए पलक पड़ते हैं, जो कि पूर्वर्ती सरकार का काम था । वह यह नही बताते की लखनऊ में ही मेट्रो के दूसरे रुट का क्या हुआ । एक ईंट भी उन्होंने लखनऊ मेट्रो में पूर्वी सरकार से बढ़ाकर रखी है । यहाँ भी काम शून्य ही है ।

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महिला सुरक्षा पर तो बात करने पर ही शर्म आती है । किस निर्लज्जत से स्वयं के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर हों या सहयोगी चिन्मयानंद को बचाया जाता रहा । यदि सरकार ज़रा भी संवेदनशील होती तो उन्नाव पीड़िता के पिता जीवित होते । जब पूरे देश का दबाव बना,तब जाकर शासन हरकत में आया जबकि चिन्मयानन्द केस में आज भी उतनी ही सुस्ती है ।

जिस पुलिस सुधार की वह बात करते हैं, वहां पर उनकी घोर असफलता के उदाहरण के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक पुलिस अधिकारी की भीड़ द्वारा हत्या काफी है । जिसपर आजतक एक इंच भी सरकार न्याय की तरफ नही बढ़ सकी है । गोलियों के अभाव में दुश्मन के सामने असहाय पुलिस की मुँह से निकली ठाएँ ठाएँ कोई निष्ठुर ही भूल सकता है

एक स्कीम पूरे ज़ोर शोर से लाई गई,एक ज़िला-एक उत्पाद यानी ओडी ओपी । राहुल गाँधी जी ने कहा था कि कांग्रेस की योजना में है कि जिलों के उत्पाद दुनिया भर में ज़िले की पहचान के साथ उतारे जाएँ,उन्होंने कल्पना भी नही की होगी काँग्रेस की बेहतरीन योजना उत्तर प्रदेश सरकार के अपरिपक्व हाथों में आकर ऐसी भोंडी हो जाएगी । अब तो योगी जी खुद नही बता पाएंगे कि उनकी यह योजना कहाँ पहुँची,किस जिले का उत्पाद कितना बिक रहा है, किस जगह बिक रहा,किसे लाभ हो रहा,सब हवा में है ।

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जब वह कहते हैं कि अपराधी उत्तर प्रदेश में थर थर कापेंगे,तब सबसे ज़्यादा अपराधी ही हँसते होंगे क्योंकि योगी जी को अपराधी का तो पता नही,बस इतना पता है, ठोक दो,चाहे कोई हो । लखनऊ में रात में एक प्राइवेट कंपनी के कर्मठ कर्मचारी तिवारी जी को पुलिस ने मार डाला,जब जन दबाव बना,तब आनन फानन में लीपापोती हुई । योगी जी यह कभी नही कहते कि कानून और न्यायपालिका के दायरे में अपराध पर नियन्त्र करेंगे,वह कहते हैं, ठोक दो,इससे नियन्त्र आता है या अराजकता । इस अराजकता से असली अपराधी सदैव छूट जाते हैं और फँस कोई भी सकता है ।

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अब तक सरकार अपराधियों पर तो नियंत्रण नही कर सकी है वरन उन लोगों को डरा धमका रही है, जो सरकार के विरुद्ध बोल रहे हैं या लिख रहे हैं । अलोकतांत्रिक व्यवहार में ज़रूर इन तीन वर्षों में सौ प्रतिशत सफलता प्राप्त की गई है ।

वैसे तो किसी भी सरकार की सफलता या असफलता गिनाने के लिए उस सरकार के कामों की समीक्षा करनी चाहिए । दुर्भाग्य से इन तीन वर्षों में कोई भी तो काम नही किये गए,जिसकी स्वस्थ समीक्षा हो सके । जो भी काम हैं, वह पिछली सरकारों के हैं । खुद का शुरू कोई इंफ्रास्ट्रक्चर है ही नही,कहीं दूर जाने की आवश्यकता ही नही,उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुए किसी भी काम को उठाकर देख लीजिए,अव्वल तो हुए नही,जो पूरे भी हुए,उसमे पूर्वर्ती सरकार के हाथ हैं, इन्होंने तो केवल फीता काटा है ।

इन तीन वर्षों में उत्तर प्रदेश सरकार को जो लोकप्रियता मिलनी चाहिए थी,उसका स्थान भय ने ले लिया है । दुर्भाग्य से वह भय को लोकप्रियता समझ रहे हैं । लोग उनके खिलाफ बोल नही सकते,बोलने वालों को यातनाएँ दी जा रही हैं । प्रताड़ित किया जा रहा है । मगर यह भय चुनाव में जनता सूद समेत लौटाएगी क्योंकि जो जनता को डराता है, जनता उसे शून्य में भेजते देर नही लगाती है । मेरी तो ईश्वर से प्रार्थना है कि सरकार विपक्ष को या अपने विरुद्ध उठती आवाज़ के दमन की जगह कामों पर ध्यान दे । दो वर्ष बचे हैं, जाते जाते अगर एकभी जनता के हित का काम कर जाएँ तो उन्हें सम्मान से याद रखा जाएगा ।

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वह समझें कि भय और अराजकता का शासन कभी भी निर्माण नही करता है, अभी थोड़ा समय है, बच्चों के स्वास्थ्य की फिक्र करें,युवाओं के रोज़गार की,महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को प्राथमिकता दें,किसानों के हित की ओर कदम बढ़ाएं,व्यापारियों को अपराध विहीन माहौल दें, सरकारी कर्मचारियों को सम्मान और काम करने का माहौल दें और उत्तर प्रदेश की जनता से सच बोलें ।तीन वर्ष तो गवा दिए अब बचे दो वर्ष कुछ तो काम कर दें,जनता खुद को इतना ठगी हुई न महसूस करे कि भविष्य में उम्मीद भरे ख्वाब ही देखना बन्द कर दे ।

(लेखक कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता हैं, यह उनके निजी विचार हैं)

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