न्यूज़ डेस्क
राजधानी लखनऊ के पॉश इलाके हज़रतगंज में सूरत जैसा हादसा कभी भी हो सकता है। इस इलाके की एरिया की सभी सड़कें लगभग संकरी गलियों में तब्दील हो चुकी हैं। कुछ ऐसा ही हाल चारबाग का भी है। पिछलें साल चारबाग के दो होटल में आग लगने से करीब छह लोगों की मौत हो गयी थी।
फायर विभाग के अधिकारियों ने पिछले साल होटल में आग लगने का बारे में बताया था कि सकरी गलियों की वजह से बचाव कार्य करने में काफी समस्या हई थी। ऐसा ही कुछ हाल हजरतगंज और आईटी चौराहे में सकरी गलियों में चल रही कई कोचिंगो का है। जहां आग से बचने के लिए कोई भी उच्च प्रबंध नहीं है और न ही ऐसी जगहों पर फायर ब्रिगेट पहुंच सकती है।
इसमें से अधिकतर कोचिंग संस्थान ऐसे है जो आवासीय परिसरों में संचालित हो रहे है। इन संस्थानों में किसी के पास फायर विभाग से एनओसी तक हांसिल नहीं है। इसके अलावा आपातकालीन निकास, पर्याप्त पानी, अग्निशमन उपकरण और सेटबैक के सारे कायदे दरकिनार करके कोचिंग संस्थान आए दिन बढ़ते जा रहे हैं।
हज़रतगंज के नवल किशोर रोड पर करीब पांच सौ से अधिक छोटी बड़ी कोचिंग चल रही है। इसके अलावा शहर में अलीगंज, गोमतीनगर, चारबाग और आलमबाग सहित कई इलाकों में बड़ी संख्या में कोचिंग संचालित हो रही है। इन संस्थानों में करीब 80 हजार से अधिक छात्र पढ़ते है। इन कोचिंग के न तो कोई मानक तय है और न ही कोई नियम है।
मुख्य अग्निशमन अधिकारी विजय कुमार सिंह के मुताबिक कोचिंग आवासीय भवन में चल रहे है। फायर विभाग की और से भवनों को एनओसी जारी की जाती है। इन कोचिंग को नोटिस जारी कर अग्निशमन व्यवस्था दूरस्थ करने के निर्देश जारी किये जाएंगे।