Friday - 25 October 2024 - 7:17 PM

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर कल सुप्रीम फैसला, रखी जा चुकी हैं नींव

जुबिली न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट कल केंद्र की सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगा। बता दें कि 7 दिसंबर 2020 को कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा के निर्माण संबंधी कार्य पर रोक लगा दी थी और सरकार को निर्देश दिया था कि जब तक इस पर फैसला नहीं आ जाता तब तक कोई निर्माण कार्य नहीं होगा। हालांकि अदालत ने अपने आदेश में नई संसद के शिलान्यास पर रोक नहीं लगाई थी।

मोदी सरकार का प्लान इस पूरे सेंट्रल विस्टा को बदलने का था लेकिन कुछ वजहों से सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने नई संसद समेत कई अहम सरकारी इमारतों वाले सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में किसी भी निर्माण पर फिलहाल रोक लगा रखी है।

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सुप्रीम कोर्ट की रोक का आधार सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला लंबित है। इन याचिकाओं पर कोर्ट ने 5 नवंबर को फैसला सुरक्षित रखा था।

तब कोर्ट ने कहा था कि वह इस पहलू पर करेगा कि क्या प्रोजेक्ट के लिए सभी कानूनी ज़रूरतों का पालन किया गया है। नई संसद और दूसरी इमारतों का निर्माण तभी शुरू हो सकेगा, जब कोर्ट उसे मंजूरी देगा।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद 10 दिसंबर को देश की नई संसद की नींव रखी। सेंट्रल विस्टा कार्यक्रम के तहत आने वाली इस नई संसद में दो हाउस (राज्यसभा, लोकसभा) और एक सेंट्रल हॉल बनाया जाएगा। नई संसद में सांसदों के बैठने की संख्या 888 होगी और राज्यसभा में 384 सदस्य बैठ सकेंगे। नई संसद को साल 2022 के अंत तक पूरा किया जाना है।

क्या है योजना

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नया त्रिकोणीय संसद भवन, कॉमन केंद्रीय सचिवालय और तीन किलोमीटर लंबे राजपथ को रीडेवलप किया जाएगा। नए संसद भवन में 900 से 1200 सांसदों की बैठने की क्षमता विकसित की जाएगी।

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इस प्रोजेक्ट के तहत उपराष्ट्रपति के आवास को नॉर्थ ब्लॉक और प्रधानमंत्री के आवास को साउथ ब्लॉक के करीब शिफ्ट किया जा सकता है। ऐसा करने से ट्रैफिक स्मूथ हो सकता है। बता दें कि वीवीआईपी मूवमेंट के कारण से अक्सर लुटियंस में लोगों को दिक्कत होती है।

याचिकाकर्ताओं की दलील

केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को कई याचिकाओं के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि बिना उचित कानून पारित किए इस परियोजना को शुरू किया गया।

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इसके लिए पर्यावरण मंजूरी लेने की प्रक्रिया में भी कमियां हैं। हजारों करोड़ रुपये की यह योजना सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी है। संसद और उसके आसपास की ऐतिहासिक इमारतों को इस परियोजना से नुकसान पहुंचने की आशंका है।

सरकार का जवाब

याचिकाओं के जवाब में सरकार ने कहा है कि मौजूदा संसद भवन और मंत्रालय बदलती जरूरतों के हिसाब से अपर्याप्त साबित हो रहे हैं। नए सेंट्रल विस्टा का निर्माण करते हुए न सिर्फ पर्यावरण का ध्यान रखा जाएगा, बल्कि हेरिटेज इमारतों को नुकसान भी नहीं पहुंचाया जाएगा।

जिरह के दौरान केंद्र सरकार के वकील ने यह भी कहा था कि इस समय सभी मंत्रालय कई इमारतों में बिखरे हुए हैं। एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय जाने के लिए अधिकारियों को वाहन का इस्तेमाल करना पड़ता है।

कुछ मंत्रालयों का किराया देने में हर साल सरकार के करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। यह कहना गलत है कि सेंट्रल विस्टा के निर्माण में सरकारी धन की बर्बादी हो रही है। बल्कि अब तक होती आ रही धन की बर्बादी को रोकने के लिए यह परियोजना बहुत जरूरी है।

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