Saturday - 26 October 2024 - 6:18 PM

दिल्ली सरकार पर सुप्रीम कोर्ट का तेवर, कहा- अगर हमने बुल्डोजर चलाना शुरू किया तो…

जुबिली न्यूज डेस्क

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में लोगों का जिन्दगी मुश्किल में है। वायु प्रदूषण के कारण जहरीली हो चुकी हवा से जीना मुहाल हो रहा है। हर साल की तरह, इस वर्ष भी सुप्रीम कोर्ट सीन में आ गया है। वहां इस मामले पर सुनवाई चल रही है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट कड़े तेवर दिखा रहा है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सरकारें क्या करेंगी, कैसे करेंगी, इससे हमें मतलब नहीं, बस पराली जलाना रुकना चाहिए।

बता दे कि उधर, सरकार का पक्ष रख रहे सीनियर वकील गोपाल एस ने बताया कि इस वर्ष पराली जलाने की घटना में 40% की कमी आई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे काम नहीं चलेगा, पराली जलाना पूरी तरह बंद करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के ऐसे हालात कायम नहीं रह सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा है, अगर हमने बुल्डोजर चलाना शुरू कर दिया तो रुकेंगे नहीं।

यूं ही नहीं घुटती रह सकती है दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण के मामले पर सुनवाई शुरू हुई तो सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह ने आईआईटी, कानपुर की एक स्टडी का हवाला देकर बताया कि प्रदूषण के मुख्य स्रोत क्या-क्या हैं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने की प्रथा पूरी तरह रुकनी चाहिए। आज राज्यों के पास कोई बहाना नहीं बचा है। अगर वो कहते हैं कि उनके पास पराली जलाने की निगरानी के लिए ऐप है तो फिर क्या हुआ? इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि समाधान बताइए। दिल्ली यूं ही नहीं घुटती रह सकती है। उन्होंने वकीलों से कहा, ‘देखिए दिल्ली में कितनी बड़ी संख्या में बच्चे स्वास्थ्य समस्याओं से घिर गए हैं।’

हर हाल में रुके प्रदूषण-सुप्रीम कोर्ट

वहीं, सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि समस्या पराली जलाने से नहीं है। कई देशों में पराली जलाई जाती है। उधर, पंजाब के एजी ने कहा कि 50-20 दिन तक ही समस्याएं होती हैं। तब जस्टिस कौल ने कहा कि यह टाइमिंग की अजीब समस्या है, लेकिन मुझे लगता है कि इसे लेकर कोई गंभीरता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हम बिल्कुल परवाह नहीं कि आप कैसे करते हैं, बस यह रुकना चाहिए। कभी-कभार बलपूर्वक और कभी-कभी मदद करके।’ उन्होंने कहा कि फसल जलाना प्रदूषण का बड़ा कारक है। जस्टिस कौल ने दिल्ली सरकार के वकील से पूछा कि वो दिल्ली में वाहनों के प्रवेश को लेकर क्या कर रहे हैं?

धान की जगह दूसरी फसल के लिए हो एमएसपी

पंजाब के एजी ने सुझाव दिया कि अगर हम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दें तो किसान धान की जगह दूसरी फसल उगाने लगेंगे। इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि तुरंत कुछ करना होगा। समस्या फसल की टाइमिंग से है। जब तक अगले फसल का समय आए तब तक यह सब हो जाना चाहिए। जस्टिस कौल ने केंद्र सरकार से कहा कि वो राज्यों को वैकल्पिक फसलों को अपनाने में मदद करे। उन्होंने कहा, ‘अब बर्दाश्त नहीं कर सकते।’ उन्होंने कहा, ‘अब बर्दाश्त नहीं कर सकते। अगर सीधा-सीधा कहें तो अगर मैंने बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया तो फिर रुकूंगा नहीं।’

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एसएचओ करें खेतों की निगरानी

जस्टिस कौल ने पंजाब के एजी से कहा कि आपको अपने यहां फसल जलाने को रोकना ही होगा। उन्होंने कहा, ‘आपके लोकल एसएचओ को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना होगा… आज से उन्हें काम पर लग जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब में पराली जलाने के बाद ट्रैफिक की भी समस्या है। वाहनों के कारण भी प्रदूषण बढ़ता है।

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