जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। लखीमपुर खीरी हिंसा मामला तूल पकड़ता जा रहा है। भले ही योगी सरकार नाराज किसानों को मनाने में कामयाब हो गई हो लेकिन विपक्षी दलों का हमला जारी है।
योगी सरकार ने कोशिश में लगी हुई है कि इस मामले को ज्यादा हवा ना मिले। उधर देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में सख्त नजर आ रहा है।
दरअसल अब सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। इसके साथ ही चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्य कांत और हीमा कोहली की बेंच लखीमपुर में हुई हिंसा के मामले पर कल सुनवाई करेगी।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हिंसा के दौरान चार किसानों, तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं और एक पत्रकार की मौत का मामला लगातार सुर्खियों में है।
दरअसल करीब साल भर से सडक़ों पर आन्दोलन करते हुए किसान कृषि कानूनों का विरोध करते आ रहे हैं। किसानों की कई बार सरकार से बात हुई, कई बार टकराव हुआ लेकिन हिंसा की वह इबारत किसान आन्दोलन का हिस्सा नहीं थी जो रविवार को लखीमपुर खीरी में लिख दी गई थी।
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किसानों का आरोप था कि कि केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के पुत्र मोनू ने आन्दोलन कर रहे किसानों को अपनी गाड़ी से कुचल दिया था। इस रविवार को यहां हुई हिंसा में 4 किसानों सहित 9 लोगों की मौत हो गई थी।
इसके बाद से मामला लगातार सुर्खियों में है और योगी सरकार के तमाम जतन करने के बाद भी विपक्षी दल शांत नहीं है। बुधवार को लखीमपुर खीरी हिंसा के मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
इस दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सीधे तौर पर यूपी और केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि किसानों पर सरकार का आक्रमण हो रहा है। किसानों को जीप से कुचला जा रहा है।
पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने कहा, पीएम लखनऊ गए लेकिन लखीमपुर नहीं गए। वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ हुई धक्का-मुक्की के सवाल पर राहुल ने कहा कि यह किसानों का मुद्दा है। प्रियंका के साथ धक्का-मुक्की हुई इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।