जुबिली न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी थी जिसमें उसने एक नाबालिग लड़की के वक्षस्थल (ब्रेस्ट) को बिना स्किन टू स्किन टच के छूने के अपराध को पॉक्सो ऐक्ट के दायरे से बाहर बताया था।
यूथ बार असोसिएशन में बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाई कोर्ट के इस फैसले पर विवाद छिड़ गया था। नागरिक संगठनों एवं कई जानी-मानी हस्तियों ने इसे हास्यास्पद बताकर फैसले की आलोचना की थी।
Breaking: Supreme Court stays Bombay High Court order acquitting accused in POCSO Act which had said skin to skin contact necessary for sexual assault under POCSO Act.#POCSO #SupremeCourt #BombayHighCourt
— Bar & Bench (@barandbench) January 27, 2021
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कोर्ट ने कहा था कि यौन हमले के लिए यौन मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क होना जरूरी है। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ की जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने 19 जनवरी को यह फैसला सुनाया था। इसके खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। यूथ बार एसोसिएशन आफ इंडिया ने याचिका दाखिल कर इस फैसले को चुनौती दी है।
पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि किसी नाबालिग के कपड़े उतारे बिना उसके वक्षस्थल (ब्रेस्ट) को छूना यौन हमला नहीं कहा जा सकता। इस तरह के कृत्य को बाल यौन अपराध संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत यौन हमले के रूप में नहीं ठहराया जा सकता।
कोर्ट ने कहा था कि यौन हमले के लिए यौन मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क होना जरूरी है। हाई कोर्ट के इस फैसले पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आपत्ति जताई थी और सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी।