प्रमुख संवाददाता
नई दिल्ली. इंडिया को भारत में बदलने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि संविधान में पहले ही इंडिया को भारत कहा गया है. ऐसे में इस तरह की याचिका पर विचार का क्या औचित्य है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को ज्ञापन के तौर पर स्वीकार कर लिया है और इस पर विचार करने को कहा है.
दिल्ली के एक किसान की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई इस याचिका में कहा गया कि अंग्रेजों ने भारत का नाम इंडिया रख दिया था. इस नाम से गुलामी का अहसास होता है. किसान ने कहा कि इंडिया नाम खत्म कर अगर अंग्रेज़ी में भी भारत कर दिया जाए तो इससे लोगों में राष्ट्रीयता की भावना बढ़ेगी.
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याचिका दायर करने वाले किसान नमह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आज़ादी के फ़ौरन बाद 1948 में भी याचिका दायर कर यह मांग की गई थी कि इंडिया का नाम भारत कर दिया जाए लेकिन तब भी कोर्ट ने इस याचिका को ठुकरा दिया था. 1948 में सेठ गोविन्द दास और एम. अनन्त शयनम अयंगर ने कोर्ट से कहा था कि भारत को अंग्रेज़ी में भी भारत, भारतवर्ष या फिर हिन्दुस्तान कहा जाए. कोर्ट ने तब भी उस याचिका को खारिज कर दिया था.