जुबिली न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को लेकर दिए गए बयान पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाए जाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार की राय से अलग राय रखने वाले विचारों की अभिव्यक्ति को देशद्रोह नहीं कहा जा सकता है।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि सरकार की राय से भिन्न विचारों की अभिव्यक्ति को देशद्रोही नहीं कहा जा सकता है।
A bench of the Supreme Court, headed by Justice Sanjay Kishan Kaul, while refusing to entertain a PIL against former J&K CM Farooq Abdullah, observed that the expression of views that are different from the opinion of the government cannot be termed as seditious pic.twitter.com/sn2Ptxf5mb
— ANI (@ANI) March 3, 2021
याचिका में मांग की गई थी कि फारूक अब्दुल्ला के बयान को देखते हुए उन पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने वाली याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही पीठ ने फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ आरोपों को साबित नहीं कर पाने पर याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
ये भी पढ़े : ‘पति की गुलाम या सम्पत्ति नहीं है पत्नी जिसे पति के साथ जबरन रहने को कहा जाए’
ये भी पढ़े : चुनावी राज्यों में इसलिए BJP को झेलना पड़ेगा किसानों का विरोध
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला ने अनुच्छेद-370 पर भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान की मदद मांगी थी। इस आरोप को नेशनल कॉन्फ्रेंस ने खारिज कर दिया था। पार्टी ने कहा कि अब्दुल्ला ने कभी भी नहीं कहा कि चीन के साथ मिलकर हम अनुच्छेद 370 की वापसी कराएंगे, उनके बयानों को गलत तरीके से और तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।
ये भी पढ़ें: अफगानिस्तान में तीन महिला मीडिया कर्मियों की हत्या
बता दें कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी कर दिया था, जिसका देश की कई राजनीतिक पार्टियों ने विरोध किया था। इसी को लेकर फारूक अब्दुल्ला के एक बयान के विरोध में जनहित याचिका दायर कर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की गई थी।