न्यूज डेस्क
भारत में भूख और कुपोषण की वजह से हर साल पांच साल से कम उम्र के लाखों बच्चे मर जाते हैं। बच्चों की मौत भोजन के अधिकारों और नागरिकों के जीवन के अधिकार समेत विभिन्न अधिकारों का उल्लंघन करती है। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में भूख से लडऩे के लिए देश के सभी राज्यों में सामुदायिक रसोई स्थापित करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को नोटिस जारी किया है।
पिछले सप्ताह उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर करके सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे भूख और कुपोषण से निपटने के लिए सामुदायिक रसोई योजना तैयार करें। यह याचिका जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई थी।
यह भी पढ़ें : ‘राष्ट्रविहीन नहीं है एनआरसी की अंतिम सूची से बाहर रह गए लोग’
दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि भूख और कुपोषण की वजह से पांच साल से कम उम्र के कई बच्चे मर जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अनून धवन, ईशान सिंह और कुंजन सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका में केंद्र को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दायरे से बाहर लोगों के लिए राष्ट्रीय खाद्य ग्रिड बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है। यह याचिका अधिवक्ता आशिमा मांडला और फुजैल अहमद अयूबी के जरिए दाखिल की गई है।
यह भी पढ़ें :डॉक्टर की पीट-पीटकर हत्या के मामले में 21 गिरफ्तार
भूख से होने वाली मौतों को कम करने के लिए इस याचिका में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएलएसए) को एक योजना तैयार करने का आदेश देने की मांग की गई है।
गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु , ओडिशा, झारखंड और दिल्ली में सरकार के वित्तपोषण से सामुदायिक रसोई चलाई जा रही है, जिसमें लोगों को रियायती दरों पर खाना दिया जाता है। याचिका में इसका जिक्र किया गया है।
यह भी पढ़ें : नमक-रोटी खाते बच्चों का वीडियो बनाने वाले पत्रकार के खिलाफ केस दर्ज