जुबिली न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (8 जुलाई) को दिव्यांग को लेकर बन रही फिल्मों पर फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दिव्यांगजनों पर बन रही फिल्मों और डॉक्यूमेंट्रीज के लिए खास गाइडलाइन्स जारी की हैं. दरअसल मृणाल ठाकुर की फिल्म आंख मिचौली पिछले साल रिलीज हुई थी. फिल्म पर दिव्यांग लोगों का मजाक उड़ाने का आरोप लगा था, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि दिव्यांग लोगों पर बन रही फिल्मों में उनके लिए इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों पर खास ध्यान देना होगा. इसके साथ ही फिल्मों में किसी भी तरह उनका मजाक नहीं बनाया जाना चाहिए. बल्कि उनकी खूबियों को दिखाने की कोशिश करनी होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने जारी की गाइडलाइन्स
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने आंख मिचोली विवाद पर बात करते हुए कहा- ‘फिल्म के शब्द भेदभाव को बढ़ावा देते हैं और ‘अपंग’ और ‘स्पास्टिक’ जैसे शब्द विकलांग लोगों के बारे में सामाजिक धारणाओं में गलत मतलब की तरह लिए जा रहे हैं.’कोर्ट ने आगे कहा- ‘विजुअल मीडिया को विकलांग लोगों की हकीकत को दिखाना चाहिए, उनकी चुनौतियों, सफलताओं, टैलेंट और समाज में योगदान को दिखाने की कोशिश करनी चाहिए. उन्हें न तो मिथ्स के आधार पर चिढ़ाया जाना चाहिए और न ही महाअपंग के तौर पर पेश किया जाना चाहिए.’
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क्या है फिल्म की कहानी?
साल 2023 में रिलीज हुई फिल्म आंख मिचोली को उमेश शुक्ला ने डायरेक्ट किया है. फिल्म एक मिसफिट परिवार पर बेस्ड है. फिल्म की कहानी की बात करें तो इसमें एक शख्स अपनी बेटी की शादी एक एनआरआई से करने के लिए उसके परिवार से कुछ चीजें छिपाने की कोशिश करता है. फिल्म में परेश रावल, अभिमन्यु दसानी और मृणाल ठाकुर लीड रोल्स में नजर आए हैं.