जुबिली न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने तीनों नए कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। लेकिन यह भी साफ कर दिया है कि यह अदालत का अंतिम फैसला नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की कमेटी सभी पहलुओं पर विचार के बाद अपना फैसला सुनाएगी। इस बीच सरकार और किसान के पक्ष कमेटी के सामने रखे जाएंगे। दोनों पक्षों की राय आ जाने के बाद कमेटी सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट पेश करेगी जिसके आधार पर अदालत अंतिम फैसला करेगी।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों से तीखे सवाल पूछे हैं। साथ ही अब इस मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। इस कमेटी में कोई भी जज नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने खेती किसानी को जानने वाले चार विशेषज्ञों की कमेटी बनाई है। इसमें भारतीय किसान यूनियन के भूपेंद्र सिंह मान, इंटरनेशनल पॉलिसी हेड डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, शेतकारी संघटना, महाराष्ट्र के अनिल घनवत को शामिल किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में अब ये मामला सोमवार को सुना जाएगा। अदालत ने किसान संगठनों को भी नोटिस जारी किया है, जिसमें उन्होंने दिल्ली पुलिस से ट्रैक्टर रैली निकालने की परमिशन मांगी है। चीफ जस्टिस की ओर से अटॉर्नी जनरल से कहा गया है कि वो प्रदर्शन में किसी भी बैन संगठन के शामिल होने को लेकर हलफनामा दायर करें।
अटॉर्नी जनरल की ओर से कमेटी बनाने का स्वागत किया गया। इसपर हरीश साल्वे कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट कर सकता है कि ये किसी पक्ष के लिए जीत नहीं होगी, बल्कि कानून की प्रक्रिया के जरिए जांच का प्रयास ही होगा। चीफ जस्टिस की ओर से इसपर कहा गया कि ये निष्पक्षता की जीत हो सकती है।
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बता दें कि याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदर्शन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है, ऐसे में बड़ी जगह मिलनी चाहिए। वकील ने रामलीला मैदान का नाम सुझाया, तो अदालत ने पूछा कि क्या आपने इसके लिए अर्जी मांगी थी।
सांसद तिरुचि सीवा की ओर से जब वकील ने कानून रद्द करने की अपील की तो चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कहा गया है कि साउथ में कानून को समर्थन मिल रहा है, जिसपर वकील ने कहा कि दक्षिण में हर रोज इनके खिलाफ रैली हो रही हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि वो कानून सस्पेंड करने को तैयार हैं, लेकिन बिना किसी लक्ष्य के नहीं।
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किसानों के एक वकील ने कहा कि इस तरह का मानना है कि कमेटी मध्यस्थ्ता करेगी, जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि कमेटी मध्यस्थ्ता नहीं करेगी, बल्कि मुद्दों का समाधान करेगी।
अदालत में हरीश साल्वे की ओर से कहा गया कि 26 जनवरी को कोई बड़ा कार्यक्रम ना हो, ये सुनिश्चित होना चाहिए। जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि दुष्यंत दवे की ओर से पहले ही कहा जा चुका है कि रैली-जुलूस नहीं होगा।
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हरीश साल्वे ने इसके अलावा सिख फॉर जस्टिस के प्रदर्शन में शामिल होने पर आपत्ति जताई और कहा कि ये संगठन खालिस्तान की मांग करता आया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि वो ऐसा फैसला जारी कर सकते हैं जिससे कोई किसानों की जमीन ना ले सके।