न्यूज डेस्क
सीएम योगी आदित्यनाथ पर सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखने के मामले में पत्रकार प्रशांत कनौजिया को सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है। मंगलवार को हुई सुनवाई में यह फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक नागरिक के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है उसे बचाए रखना जरुरी है।
इसके साथ ही कोर्ट ने बताया कि आपतिजनक पोस्ट पर लोगों के विचार अलग-अलग हो सकते है इसमें गिरफ़्तारी क्यों? इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत कनौजिया की पत्नी को मामले को हाईकोर्ट ले जाने को कहा है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने IPC की धारा 505 के तहत मामले में एफआईआर दर्ज करने पर भी सवाल खड़े किए। अदालत ने यूपी सरकार से पूछा है कि किन धाराओं के तहत ये गिरफ्तारी की गई है। ऐसा शेयर करना सही नहीं था लेकिन फिर गिरफ्तारी क्यों हुई है।
क्या है मामला
कनौजिया ने एक वीडियो टि्वटर और फेसबुक पर शेयर किया था, जिसमें एक महिला मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर विभिन्न मीडिया संगठनों के संवाददाताओं से बात करती दिख रही है। इस विडियो में महिला दावा कर रही है कि उसने मुख्यमंत्री को विवाह का प्रस्ताव भेजा है। कनौजिया के टि्वटर हैण्डल पर लिखा है कि वह आईआईएमसी और मुंबई विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं और कुछ मीडिया संगठनों से जुड़े हैं।
दाखिल की हैबियस कॉरपस याचिका
इस आपत्तिजनक ट्वीट और रीट्वीट को लेकर प्रशांत को दिल्ली में उत्तर प्रदेश पुलिस ने मंडावली स्थित उनके घर से हिरासत में लिया था। इसके खिलाफ प्रशांत की पत्नी जिगीषा ने सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कॉरपस यानी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी, जिसकी सुनवाई मंगलवार को हुई।
दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि प्रशांत की गिरफ्तारी गैरकानूनी है। याचिका के मुताबिक इस संबंध में यूपी पुलिस ने ना तो किसी एफआईआर के बारे में जानकारी दी है ना ही गिरफ्तारी के लिए किसी भी तरह की गाइडलाइन का पालन किया। इसके अलावा ना ही उन्हें दिल्ली में ट्रांजिट रिमांड के लिए किसी मजिस्ट्रेट के पास पेश किया गया।
मिला मायावती का साथ
वहीं, सोमवार को बसपा प्रमुख मायावती ने कनौजिया का साथ दिया। बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि एडीटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया इस मामले में सरकार की आलोचना कर रहा है लेकिन इससे बीजेपी सरकार को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है।
मायावती ने सोमवार को ट्वीट किया, “यूपी सीएम के खिलाफ अवमानना के संबंध में लखनऊ पुलिस की ओर से खुद ही संज्ञान लेकर पत्रकार प्रशांत कनौजिया सहित तीन की दिल्ली में गिरफ्तारी पर एडीटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और अन्य मीडिया ने काफी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है लेकिन क्या इससे बीजेपी और इनकी सरकार पर कोई फर्क पड़ने वाला है?”
बता दें कि सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ टिप्पणी को लेकर गिरफ्तारियों का दौर जारी है। इसकी शुरुआत पत्रकार प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी से हुई। प्रशांत की गिरफ्तारी का कई राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन विरोध कर रहे हैं।