जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. सहारा इंडिया के चेयरमैन सुब्रत राय को देश की सर्वोच्च अदालत ने पेशी पर व्यक्तिगत रूप से पेश उपस्थित होने से छूट दे दी है. दरअसल पटना हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को सुब्रत राय को कोर्ट में सशरीर मौजूद रहने का आदेश दिया था लेकिन वह हाईकोर्ट के सामने पेश नहीं हुए. इसके बाद शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट ने सोमवार को सुब्रत राय को व्यक्तिगत रूप से पेश करने का आर्डर सुनाया. शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस ए.एम. खानविलकर ने सुब्रत राय को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित किये जाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अब 19 मई को सुनवाई करेगा.
पटना हाईकोर्ट के व्यक्तिगत पेशी के आदेश के खिलाफ सुब्रत राय ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट से सुब्रत राय ने कहा कि पटना हाईकोर्ट ने धारा 438 की गलत विवेचना की है. उन्होंने कहा कि दो निजी कंपनियों के प्रबंधकों ने भुगतान से सम्बंधित मामलों में अदालत से अग्रिम ज़मानत माँगी थी तो हाईकोर्ट ने उस मामले में सहारा के जमाकर्ताओं को भी जोड़ने का आदेश दे दिया. उन्होंने कहा कि विवादित बकायों के भुगतान के लिए अग्रिम ज़मानत की याचिका का इस्तेमाल करना संभव नहीं है.
सुब्रत राय के वकील कपिल सिब्बल की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या सुब्रत राय अग्रिम ज़मानत के लिए गए थे तो सिब्बल ने बताया कि इस मामले से सुब्रत राय का कोई लेना देना ही नहीं है तो फिर वह क्यों अग्रिम ज़मानत मांगेंगे. उन्हें तो इस मामले में बेवजह घसीटा जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इतना सुनने के फ़ौरन बाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए सुब्रत राय की व्यक्तिगत उपस्थिति पर रोक लगाने का आदेश दिया.