जुबिली न्यूज़ डेस्क
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को सुप्रीमकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को अंतरिम राहत देकर उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आप नेता संजय सिंह की उस याचिका पर यूपी सरकार से जवाब माँगा था जिसमें राजद्रोह समेत कई आरोपों को रद्द करने का अनुरोध किया था।
गौरतलब है कि आप नेता संजय सिंह पर उत्तर प्रदेश में जातीय वैमनस्य फैलाने का आरोप लगा था। जिस मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी एफआईआर पर रोक लगा दी हैं, जो इस मामले के तहत दर्ज की गई थीं।
इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप सांसद हैं। आपको इस तरह की बयानबाजी नहीं करनी चाहिए। इसके बाद आप लिमिट क्रॉस करेंगे तो कानून के अनुसार आपके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
Supreme Court grants interim relief and stays the arrest of Aam Aadmi Party leader, Sanjay Singh, seeking quashing of the FIRs registered against him under various charges, including that of sedition, in Uttar Pradesh pic.twitter.com/AhvJN6OjTG
— ANI (@ANI) February 9, 2021
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी पुलिस को कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले मामलों में सांसद संजय सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्य सभा के सभापति से मंजूरी लेने से रोका नहीं जा रहा है।
यही नहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को नोटिस भेजा है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कुछ वकीलों द्वारा दायर याचिका को भी खारिज कर दिया, जो राजद्रोह के मामलों में लगने वाली आईपीसी की धारा 124A के दुरुपयोग के खिलाफ दायर की गई थी। वकीलों की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती।
क्या था मामला?
गौरतलब है कि सांसद संजय सिंह ने 12 अगस्त, 2020 को लखनऊ में एक पत्रकार वार्ता की थी। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार एक विशेष जाति का पक्ष ले रही है। इसके बाद उनके खिलाफ हजरतगंज थाने पर भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
इसके बाद विवेचना की गई जिसके बाद पुलिस ने सात सितंबर 2020 को सांसद के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था और अभियोजन की स्वीकृति भी प्राप्त कर ली। इसके बाद एमपी/एमएलए अदालत ने चार दिसंबर, 2020 को आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए सांसद संजय सिंह को सम्मन जारी कर दिया था, जिसको उन्होंने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।