जुबिली न्यूज डेस्क
चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को बहुत बड़ा झटका दिया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले पांच सालों के चंदे का हिसाब-किताब भी मांग लिया है।
अब निर्वाचन को बताना होगा कि पिछले पांच साल में किस पार्टी को किसने कितना चंदा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) से पूरी जानकारी जुटाकर इसे अपनी वेबसाइट पर साझा करे। शीर्ष अदालत के इस फैसले को उद्योग जगत के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है।
RTI एक्ट का उल्लंघन करती है चुनावी बॉन्ड
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम में गोपनीय का प्रावधान सूचना का अधिकार कानून का उल्लंघन करता है। अब शीर्ष अदालत के फैसले के बाद पब्लिक को भी पता होगा कि किसने, किस पार्टी की फंडिंग की है। चार लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर चुनावी बॉन्ड स्कीम की वैधता को चुनौती दी थी। इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला दिया है जिसका दूरगामी असर हो सकता है, खासकर लोकसभा चुनावों के मद्देनजर।
पूरा मामला राजनीतिक दलों को गुप्त तरीके से चंदा देने की अनुमति वाले इलेक्टोरल बॉन्ड योजना से जुड़ा है। इस मामले पांच जजों की संविधान पीठ ने तीन दिन की सुनवाई के बाद 2 नवंबर, 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए भारतीय चुनाव आयोग (ECI) से योजना के तहत बेचे गए चुनावी बॉन्ड के संबंध में 30 सितंबर, 2023 तक डेटा जमा करने को कहा था।