जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. देश की सर्वोच्च अदालत ने कोरोना वैक्सीनेशन के मुद्दे पर भारत सरकार की पालिसी पर सवाल खड़े किये हैं. अदालत ने सरकार से कहा है कि वैक्सीन के दाम पूरे देश में एक जैसे होने चाहिए.
जस्टिस डी.वाई. चन्द्रचूड़, जस्टिस एस. रवीन्द्र भट्ट और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की पीठ कोरोना महामारी के दौरान आक्सीजन की आपूर्ति, ज़रूरी दवाओं और वैक्सीनेशन के मुद्दे का स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है.
अदालत ने कहा है कि 45 साल से ऊपर वालों के लिए केन्द्र सरकार ही पूरी वैक्सीन खरीद रही है, जबकि 18 से 44 साल उम्र वालों के लिए सरकार ने खरीद में बंटवारा कर दिया है. वैक्सीन निर्माताओं ने राज्यों को 50 फीसदी वैक्सीन उपलब्ध करवाई है. जिनकी कीमतें केन्द्र तय कर रहा है.
अदालत ने कहा है कि वैक्सीन के मामले में केन्द्र और राज्य के लिए अलग-अलग मूल्य नहीं निर्धारित किये जा सकते. ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट के तहत केन्द्र सरकार के पास वैक्सीन का रेट तय करने का अधिकार है, फिर भी वैक्सीन का रेट तय करने का अधिकार वैक्सीन निर्माताओं पर कैसे छोड़ा जा सकता है.
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सर्वोच्च अदालत ने केन्द्र सरकार से कहा कि आप हमें सिर्फ इसलिए यह नहीं बता सकते हैं कि आप सरकार हैं. आप यह भी जानते हैं कि क्या सही है और क्या गलत है. अदालत ने कहा कि जब हम मुद्दों को उजागर कर सकते हैं तो आपको भी इस पर गौर करना चाहिए. हमें सिर्फ आपका हलफनामा नहीं चाहिए हमें अपना नीतिगत दस्तावेज़ दिखाएँ.