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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अयोध्या में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन लेने के मुद्दे पर सुन्नी वक्फ बोर्ड में मतभेद सामने आ गया है। बोर्ड के दो सदस्य इमरान माबूद खान और अब्दुल रज्जाक खान जमीन लेने के पक्ष में नहीं हैं। वहीं अन्य सदस्यों की मंशा अभी सामने नहीं आई है। 26 नवम्बर को सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक में जमीन मामले पर बोर्ड फैसला लेगा।
वहीं, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जीलानी ने बताया कि मुस्लिम पक्ष के पास पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए 9 दिसंबर तक का समय है। जफरयाब जीलानी ने बताया कि तीन पक्षकारों मौलाना महफूजुर्रहमान, मोहम्मद उमर और मिसबाहुद्दीन की ओर से दी जाने वाली याचिकाओं की पैरोकारी आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड करेगा।
वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से एक पुनर्विचार याचिका अलग से दायर होगी। इस तरह बाबरी मस्जिद की जमीन के लिए मुस्लिम पक्ष की ओर से कुल चार पुनर्विचार याचिकाएं दायर होंगी।
जफरयाब जीलानी ने कहा कि इन तीन वादी पक्षकारों के अलावा हाजी अब्दुल अहमद के बेटे मोहम्मद सगीर और हसबुल्लाह उर्फ बादशाह प्रतिवादी हैं। जरूरत पड़ी तो उनकी तरफ से भी पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी। इस बारे में फैसला डॉ. राजीव धवन एडवोकेट से विस्तृत विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाएगा।
जफरयाब जीलानी ने उम्मीद जताई कि पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए अगले कुछ ही दिनों में नई दिल्ली में डॉ. राजीव धवन एडवोकेट के साथ विचार-विमर्श होगा और उनसे सभी कानूनी पहलुओं पर राय लेने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।