Thursday - 31 October 2024 - 12:10 AM

महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव जानने के लिए हो रहा है स्टडी

न्यूज डेस्क

हम भारतीयों की जितनी आस्था ईश्वर और मंत्रों में है उतनी शायद विज्ञान में नहीं है। हमारे यहां इतने मंत्र और पूजा के विधि-विधान है उतना शायद ही किसी मुल्क में होगा। ये आस्था का ही नतीजा है कि लोगों को इसका लाभ मिलता है। लाभ न मिलता तो शायद अब तक इसमें हमारी आस्था न बनी रहती।

अक्सर देखा गया है कि हिंदू परिवारों में गंभीर बीमारियों से पीडि़त व्यक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप कराते हैं। ऐसी मान्यता है कि महामृत्युंजय मंत्र जपने से अकाल मृत्यु तो टलती ही है, आरोग्यता की भी प्राप्ति होती है।

अब महामृत्युंजय मंत्र के प्रभाव को जांचने के लिए दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में स्टडी की जा रही है। इस मंत्र के प्रति लोगों की आस्था और विश्वास को वैज्ञानिक तरीके से प्रमाणित करने के लिए स्टडी की जा रही है।

महामृत्युंजय मंत्र मतलब मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र। कहा जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र से शिव पर अभिषेक करने से जीवन में कभी सेहत की समस्या नहीं आती। महामृत्युंजय मंत्र ऋ ग्वेद का एक श्लोक है। यह मंत्र शिव को मृत्युंजय के रूप में समर्पित है।

दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इस मंत्र का प्रभाव जानने के लिए हेड इंजरी के मरीजों को इस मंत्र को सुनाया जा रहा है। इसके अच्छे संकेत भी मिल रहे हैं। रिसर्च करने वाले डॉक्टर का दावा है कि एक-दो महीने के अंदर फाइनल रिपोर्ट आ जाएगी।

इस मंत्र पर अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉक्टर अजय चौधरी और उनकी टीम स्टडी कर रही है। उन्होंने बताया कि समय-समय पर उपवास (पीरियॉडिक फास्टिंग) का चलन अपने देश में हजारों साल से है। श्रद्धालु चतुर्दशी, एकादशी जैसे व्रत रखते हैं, लेकिन देश में इस पर कोई स्टडी नहीं हुई है।

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उन्होंने कहा कि मेडिसिन का नोबेल प्राइज 2016 में जिस जापानी डॉक्टर को मिला, उन्होंने पीरियॉडिक फास्टिंग पर ही स्टडी की थी। जापानी डॉक्टर ने अपनी स्टडी में बताया कि पीरियॉडिक फास्ट करने वालों के अंदर बीमारी वाले सेल्स खत्म हो जाते हैं। खासकर कैंसर सेल्स मर जाते हैं।

आईसीएमआर ने की है स्टडी के लिए फंडिंग

डॉक्टर चौधरी ने कहा कि भारत में महामृत्युंजय मंत्र को लोग जीवन बचाने वाला मानते हैं। यह उनका विश्वास है, कोई साइंटिफिक स्टडी नहीं है। अब इसे साबित करने की जरूरत है। महामृत्युंजय मंत्र के साइंटिफिक फैक्ट्स जानने के लिए स्टडी की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस स्टडी की फंडिंग इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने की है और स्टडी जारी है।

डॉक्टर अजय चौधरी ने बताया कि यह तीन साल की स्टडी है, जो अंतिम चरण में है। 40 लोगों पर स्टडी की गई है, 20-20 के दो ग्रुप्स बनाए गए। हेड इंजरी के मरीजों को दो अलग-अलग ग्रुप में बांटा गया। हेड इंजरी के इलाज का जो प्रोटोकॉल है उसके अनुसार दोनों ग्रुप के मरीजों का इलाज किया गया, लेकिन इसमें से एक ग्रुप को महामृत्युंजय मंत्र सुनाया गया। यह काम आईसीयू से बाहर हीलिंग के दौरान किया गया। उन्होंने कहा कि इसके लिए कुतुब इंस्टिट्यूशनल एरिया स्थित संस्कृत विद्यापीठ से संपर्क किया, उन्हें इस स्टडी में शामिल किया गया।

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विद्यापीठ भेजे गए मरीज

स्टडी के तहत मरीज को पहले अस्पताल के अंदर ही संकल्प कराया गया, फिर मरीज को संस्कृत विद्यापीठ भेजा गया और वहां पर ऑर्गनाइज तरीके से महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग किया गया। उन्होंने बताया कि इस मंत्र का कितना फायदा उन मरीजों पर हुआ, यह दूसरे ग्रुप के साथ आकलन किया जा रहा है। आकलन के बाद इस रिपोर्ट को मेडिकल जर्नल में भेजा जाएगा।

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