जुबिली न्यूज डेस्क
उच्च शिक्षा में छात्र हर रोज नई चुनौतियों का सामना कर रहे। उनकी यह चुनौती कोरोना महामारी के बाद से बढ़ गई है। छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को देखते हुए आईआईएम जम्मू में छात्रों के लिए ‘आनंदम सेंटर फॉर हैप्पीनेस’ की शुरुआत की है।
आईआईएम जम्मू में आनंदम सेंटर फॉर हैप्पीनेस का उद्घाटन केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने किया। इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक स्वास्थ्य के समान ही महत्व देने के लिए प्रोत्साहित करना बेहद जरूरी है।
निशंक ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा यह शुरूआत की। इस अवसर पर आर्ट ऑफ लीविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रविशंकर भी उपस्थित रहे।
इस केंद्र की समसामयिकता पर निशंक ने कहा, “आज की इस गतिशील दुनिया में जहां हम रोज नई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, खासकर कि कोरोना जैसी महामारी के कारण पैदा हुई नई चुनौतियों के मद्देनजर सभी को विशेष रूप से छात्रों को अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा।”
उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाना और उन्हें इसे शारीरिक स्वास्थ्य के समान ही महत्व देने के लिए प्रोत्साहित करना, बेहद महत्वपूर्ण है।
अपने संदेश में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, “आईआईएम जम्मू में आनंद या खुशी पर आधारित यह केंद्र पूरी तरह से मानसिक कल्याण के लिए समर्पित है। यह अपने आप में एक अनूठी पहल है।”
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भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर के निर्माण और विकास में शिक्षा को प्राथमिकता दी है। इसके तहत शिक्षा को सुदृढ़ करने हेतु कई प्रयास किए गए हैं।
केंद्र सरकार ने सफापोरा, कठुआ और पूंछ में चार नए व्यवसायी कॉलेज और जम्मू में एक नर्सिंग कॉलेज की स्थापना कर इन्हें चालू कर दिया गया है।
इस केंद्र शासित प्रदेश में शैक्षिक सुविधाओं की पहुंच और इक्विटी सुनिश्चित करने के लिए, जम्मू और कश्मीर के खुले क्षेत्रों में वर्ष 2018 के दौरान स्वीकृत 50 नए सरकारी डिग्री कॉलेजों को चालू किया गया है। इसमें जम्मू डिविजन में 26 डिग्री कॉलेज और कश्मीर डिविजन में 24 डिग्री कॉलेज शामिल हैं।
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निशंक ने कहा कि इस बात में बिल्कुल भी संदेह नहीं कि खुश या प्रसन्न व्यक्ति अधिक उत्पादक होते हैं। इसी तरह जब कोई छात्र सकारात्मक ऊर्जा की भावना विकसित करता है, तो उसमें सीखने की ललक, सकारात्मक दृष्टिकोण, दृढ़ संकल्प और सामाजिक जुड़ाव का भी विकास होता है।
उन्होंने कहा कि जब हम खुश होकर काम करेंगे तभी हमारी बुद्धि का विकास होगा और हमारे खुशी सूचकांक में वृद्धि होगी।
निशंक ने कहा, “कोविड काल में हमने न केवल विद्यार्थियों बल्कि शिक्षकों और परिवारों के मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक संपोषण का ध्यान रखते हुए और उन्हें मनोसामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए मनोदर्पण पहल की शुरूआत की थी। आज आनंदम, मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में ही एक नई पहल है।”