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इंडियन सिनेमा में एक मशहूर निर्देशक जिन्हें बीसवीं शदी के सर्वोत्तम फ़िल्म निर्देशकों में गिना जाता है सत्यजीत राय का आज जन्मदिन है। कहा जाता है की सत्यजीत के काम को देखकर ऑस्कर अवार्ड देने का फैसला किया गया लेकिन उस दौरान राय काफी बीमार थे।
इसीलिए ऑस्कर के पदाधिकारियों ने फैसला लिया कि ये अवॉर्ड उनके पास पहुंचाया जाएगा। पदाधिकारियों की टीम कोलकाता में सत्यजीत राय के घर पहुंची और उन्हें अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
इनका जन्म कला और साहित्य के जगत में जाने-माने कलकत्ता के एक बंगाली अहीर परिवार में दो मई 1921 में हुआ था। सत्यजित राय सुकुमार और सुप्रभा राय के बेटे थे। जब सत्यजित केवल तीन वर्ष के थे तो इनके पिता चल बसे। राय ने कोलकाता के प्रेसिडेन्सी कालेज से अर्थशास्त्र पढ़ा, लेकिन इनकी रुचि हमेशा ललित कलाओं में ही रही।
सत्यजीत ने 1943 में ग्राफिक डिजाइनर के रूप में काम किया था। उस दौरान उन्होंने कई मशहूर किताबों का कवर डिजाइन किया था जिसमें जिम कार्बेट की मैन इट्स ऑफ कुमाऊं और जवाहर लाल नेहरु की डिस्कवरी ऑफ इंडिया शामिल है।
इन्होंने बांग्ला के जाने-माने उपन्यास पथेर पांचाली (पथ का गीत) के बाल संस्करण पर भी काम किया, जिसका नाम था आम आँटिर भेँपु (आम की गुठली की सीटी)। राय इस रचना से बहुत प्रभावित हुए और अपनी पहली फ़िल्म इसी उपन्यास पर बनाई। मुखपृष्ठ की रचना करने के साथ उन्होंने इस किताब के अन्दर के चित्र भी बनाये।
इस फिल्म ने समीक्षकों और दर्शकों का दिल खुश कर दिया। कोलकाता में कई हफ्ते हाउसफुल चली इस फिल्म को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। इनमें फ्रांस के कांस फिल्म फेस्टिवल में मिला विशेष पुरस्कार बेस्ट ह्यूमन डॉक्यूमेंट भी शामिल है।
ऑस्कर सहित मिले कई सम्मान
राय को जीवन में अनेकों पुरस्कार और सम्मान मिले। इन्हें ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय ने मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की। चार्ली चैपलिन के बाद ये इस सम्मान को पाने वाले पहले फ़िल्म निर्देशक थे। इन्हें 1985 में दादासाहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1992 में सत्यजीत राय को ऑस्कर (ऑनरेरी अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट) देने की घोषणा की गई लेकिन उस दौरान वे बहुत बीमार थे।
दिल का दौरा पड़ने से हुई थी मृत्यु
ऐसे में ऑस्कर के पदाधिकारियों फैसला लिया कि ये अवॉर्ड उनके पास पहुंचाया जाएगा। पदाधिकारियों की टीम कोलकाता में सत्यजीत राय के घर पहुंची और उन्हें अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसके करीब एक महीने के भीतर ही 23 अप्रैल 1992 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया।