Saturday - 2 November 2024 - 12:30 PM

शिक्षा पर कलंक समान है परीक्षा में नकल, ऐसे हो सकता है समाधान

प्रो. अशोक कुमार

परीक्षाओं में नकल करना एक गंभीर मुद्दा है हम नकल विहीन परीक्षा की हमेशा बातचीत करते रहते हैं। परीक्षाएं नकल विहीन हो इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ अपने सुझाव भी देते हैं। प्रश्न ये है की नकल क्यों होती है, विद्यार्थी नकल क्यों करना चाहते हैं या क्यों करते हैं? यह विषय एक विवाद का विषय है ! वर्तमान स्थिति में यह देखा गया है कि विद्यार्थियों की कक्षाएं समय पर नहीं होती। विद्यार्थियों की कक्षाओं के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं होते। ऐसा भी देखा गया है कि विद्यार्थियों को एक समय सारणी दी जाती है जिसमें यह अंकित होता है कि किस समय कौन सा विषय पढ़ाया जाएगा। ऐसा देखा गया है कि शिक्षकों की पर्याप्त संख्या न होने के कारण विद्यार्थियों की कक्षाएं एक दिवस में नियमित रूप से नहीं होती और पुस्तकालयों की भी व्यवस्था अच्छी नहीं होती।

इस कारण विद्यार्थी कक्षा में उपस्थित नहीं होते। उनके विषय का पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पता और इसीलिए वह परीक्षा में नकल की सहायता से उत्तीर्ण होना चाहते हैं ।

प्रश्न यह है की महाविद्यालय विश्वविद्यालय प्रशासन इस बात की ओर क्यों नहीं ध्यान देता ? ऐसा देखा गया है कि प्रशासन परीक्षा के समय निश्चित करना चाहता है की परीक्षाएं नकल विहीन हो और इसके लिए विद्यार्थियों पर परीक्षा के समय कड़ी निगरानी रखी जाती है।

विभिन्न स्थानों पर, कक्षा के अंदर, सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाते हैं। मेरा प्रश्न ये है- क्या कभी जिला प्रशासन विभिन्न स्थानों पर , छात्रों की कक्षा में, सीसीटीवी कैमरा लगते हैं कि नहीं।

यह देखने के लिए कि विद्यार्थियों की उपस्थिति क्या है ? या विद्यार्थियों की कक्षाएं हुई है कि नहीं ? ऐसी व्यवस्था नियमित रूप से क्यों नहीं होती।

प्रशासन यह निरीक्षण क्यों नहीं करता कि विद्यार्थियों की कक्षाएं लग रही है कि नहीं, शिक्षक आ रहे हैं कि नहीं और यही प्रश्न मैं अभिभावकों से भी करना चाहता हूं कि वह इस बात पर ध्यान क्यों नहीं देते कि उनके बच्चे क्लास में जाते हैं या नहीं या बच्चों की कक्षाएं नियमित रूप से लगती है कि नहीं ।

नकल विहीन परीक्षा को रोकने के लिए यह केवल स्कूल ,महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि यह हम सब पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि हम शिक्षा की व्यवस्था में उचित सुधार करें । नकल के नकारात्मक परिणाम व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर होते हैं। व्यक्तिगत स्तर पर:अनैतिक: नकल करना नैतिक रूप से गलत है। यह कड़ी मेहनत और ईमानदारी से परीक्षा देने वाले छात्रों के साथ अन्याय है।
आत्मविश्वास में कमी: नकल करने वाले छात्र अपनी क्षमताओं पर विश्वास नहीं करते हैं। वे जानते हैं कि वे अपनी योग्यता के आधार पर सफल नहीं हो सकते।
अल्पकालिक लाभ: नकल से अल्पकालिक लाभ मिल सकता है, लेकिन दीर्घकाल में इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कौशल का अभाव: नकल करने वाले छात्र महत्वपूर्ण सोच, समस्या समाधान और विश्लेषणात्मक कौशल विकसित नहीं करते हैं जो जीवन में सफलता के लिए आवश्यक हैं।

सामाजिक स्तर पर

  • शिक्षा प्रणाली को कमजोर करता है: नकल शिक्षा प्रणाली को कमजोर करती है। यह छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच निराशा पैदा करती है।
  • असमानता को बढ़ावा देता है: नकल से मेधावी छात्रों को अवसरों से वंचित होना पड़ता है। यह समाज में असमानता को बढ़ावा देता है।
  • ईमानदारी की संस्कृति को कमजोर करता है: नकल ईमानदारी और कड़ी मेहनत की संस्कृति को कमजोर करती है। यह समाज में नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • नकलविहीन परीक्षा कराने के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाना आवश्यक है। इसमें शामिल हैं:

परीक्षा पूर्व

  • नकल पर कड़ी रोकथाम: कड़े कानूनों और दंडात्मक प्रावधानों का निर्माण, जिसमें नकल करने वालों और उनकी मदद करने वालों के लिए सख्त सजा का प्रावधान हो।
  • परीक्षा केंद्रों पर सघन निगरानी, जिसमें फ्लाइंग स्क्वाड, सीसीटीवी कैमरे, और जामिंग डिवाइस का उपयोग शामिल हो।
  • प्रश्नपत्रों की गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करना। परीक्षा सामग्री (जैसे उत्तर पुस्तिकाएं) की जालसाजी रोकने के लिए कड़े उपाय।

उचित परीक्षा प्रणाली

  • पाठ्यक्रम और मूल्यांकन पद्धति में सुधार, जिसमें रटने के बजाय समझ और विश्लेषण पर ज़ोर दिया जाए।
  • विविध प्रकार के प्रश्न (बहुविकल्पीय, लघु-उत्तर, निबंध) शामिल करना।
  • आंतरिक मूल्यांकन और निरंतर मूल्यांकन पर अधिक ध्यान देना।
  • शिक्षकों और अभिभावकों को जागरूक करना: नकल के दुष्प्रभावों और शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता
  • कार्यक्रम आयोजित करना। परीक्षा नीति और नियमों के बारे में शिक्षकों और अभिभावकों को शिक्षित करना।
  • नकल रोकने में उनकी सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना।

परीक्षा के दौरान: निवारक उपाय

परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे, जैमर और मेटल डिटेक्टर जैसी तकनीकों का उपयोग करें। प्रत्येक परीक्षा कक्ष में पर्याप्त संख्या में निरीक्षकों की तैनाती करें। छात्रों को केवल आवश्यक सामग्री (पेन, पेंसिल, इरेज़र आदि) लाने की अनुमति दें।परीक्षा के दौरान मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर प्रतिबंध लगाएं।
कठोर निगरानी: परीक्षा केंद्रों पर पर्याप्त संख्या में निरीक्षकों और उड़नदस्तों की तैनाती। परीक्षा हॉल में अनुचित गतिविधियों पर कड़ी नजर रखना। संदिग्ध मामलों में तुरंत कार्रवाई करना।

परीक्षा केंद्रों की सुरक्षा

परीक्षा केंद्रों को बाहरी लोगों के प्रवेश से प्रतिबंधित करना। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (जैसे मोबाइल फोन) के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना। परीक्षा सामग्री की सुरक्षा के लिए उचित व्यवस्था करना।
मनोवैज्ञानिक माहौल 

परीक्षार्थियों में डर या तनाव का माहौल न बनाने देना। परीक्षा के नियमों और प्रक्रियाओं के बारे में स्पष्ट जानकारी देना।परीक्षार्थियों को शांत और ध्यान केंद्रित करने में मदद करना।

परीक्षा के बाद: कठोर मूल्यांकन

उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन निष्पक्ष और कड़ाई से करना। नकल के किसी भी संकेत का गहन विश्लेषण करना। आवश्यक होने पर दोबारा परीक्षा आयोजित करना।

दंडात्मक कार्यवाही 

नकल करने वालों और उनकी मदद करने वालों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्यवाही करना।भविष्य में नकल करने से रोकने के लिए एक मजबूत संदेश देना।
पारदर्शिता 

परीक्षा प्रक्रिया और परिणामों में पारदर्शिता बनाए रखना। जनता को नकल रोकने के लिए किए गए प्रयासों के बारे में जानकारी देना।
नकल रोकने के लिए एक सतत और बहुआयामी प्रयास की आवश्यकता है। इसमें सभी हितधारकों – शिक्षा विभाग, परीक्षा बोर्ड, शिक्षक, अभिभावक और छात्र – को मिलकर काम करना होगा। केवल तभी हम नकलमुक्त परीक्षाएं करा सकते हैं और शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।

यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि: नकल रोकने के लिए केवल कठोर उपाय ही पर्याप्त नहीं हैं। शिक्षा प्रणाली में सुधार, मूल्यों की शिक्षा, और छात्रों में आत्मविश्वास और ईमानदारी को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण है।

(लेखक पूर्व कुलपति कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय , विभागाध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय हैं )

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