शबाहत हुसैन विजेता
कोरोना की दहशत पूरी दुनिया में है. यह वायरस दस हज़ार से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है तो ज़ाहिर है कि दहशत होगी ही. इस वायरस से प्रभावित लोगों की संख्या दो लाख 44 हज़ार के पार पहुँच गई है. कोरोना ने सबसे बड़ा हमला इटली पर बोला है. इटली में 41 हज़ार से ज्यादा लोग कोरोना वायरस की चपेट में हैं. दुनिया में कोरोना से हुई दस हज़ार मौतों में अकेले इटली में ही चार हज़ार लोगों की जान गई है. इटली में एक ही दिन में 627 मौतों ने पूरी दुनिया को दहला दिया है.
इटली के बाद कोरोना का सबसे ज्यादा प्रकोप स्पेन में है. स्पेन में 18 हज़ार से ज्यादा लोग इसकी चपेट में हैं. इटली, चीन और ईरान के बाद स्पेन ही वह देश है जहाँ बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है. स्पेन में अब तक 833 लोगों की जान जा चुकी है.
वक्त रहते संक्रमित व्यक्ति डॉक्टर के पास पहुँच जाये तो मरीज़ की हालत में सुधार आने लगता है. बड़ी संख्या में कोरोना पीड़ित पूरी तरह से ठीक होकर अपने घरों को भी लौट चुके हैं. बात आंकड़ों की करें तो अब तक 86 हज़ार लोग चपेट में आकर भी कोरोना को हरा चुके हैं. बावजूद इसके कोरोना को लेकर दहशत बढ़ती जा रही है क्योंकि कोरोना वायरस से संक्रमित होने वालों की संख्या बड़ी तेज़ी से बढ़ रही है.
कोरोना जिस तरह से दुनिया में अपने पाँव पसार रहा है उसकी वजह से कई देशों में लॉकडाउन की स्थिति बन गई है. लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए बस, ट्रेन, मेट्रो और जहाज़ों के संचालन को रोक दिया गया है. कई देशों ने अपनी सीमाएं सील कर दी हैं. लोगों को ऑफिस आने के बजाय अपने घरों से काम करने की सलाह दी गई है.
संक्रमण से बचने के लिए लोग अपने घरों में कैद हुए हैं तो अर्थव्यवस्था पर खतरा मंडराता दिखाई देने लगा है. आर्थिक गतिविधियाँ ठप्प पड़ने लगी हैं. हवा से बातें करने वाले विमान एयरपोर्ट पर खड़े हो गए हैं. इस सिरे को उस सिरे से जोड़ने वाली ट्रेनें पटरियों पर खामोश खड़ी हैं. लाखों रुपये रोज़ का बिजनेस करने वाले माल के शटर बंद हैं.
यह लॉकडाउन लम्बा चलाना पड़ा तो पूरी दुनिया को मंदी से जूझना पड़ेगा. यानी बात साफ़ है कि जब यह वायरस पीछा छोड़ेगा तो मंदी गले पड़ जायेगी.
भारत में तो सिर्फ 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का एलान किया गया है लेकिन जर्मनी के सबसे बड़े राज्य बवेरिया में तो दो हफ्ते का लॉकडाउन किया गया है. इन दो हफ़्तों में सब कुछ पूरी तरह से बंद रहेगा. कोई रेस्टोरेंट तक नहीं खुलेगा. पूरे सूबे में समूह के रूप में लोग जमा नहीं हो सकेंगे.
किसी को कैद नहीं किया गया है लेकिन लोगों से अपेक्षा की गई है कि अगले दो हफ़्तों तक वह अपने घरों से बाहर नहीं निकलें. ऑफिस का काम भी अपने घरों से ही करें. इमरजेंसी न हो तो लोग अस्पताल भी न जाएँ.
जर्मनी में क्लब, बार और गैर ज़रूरी दुकानों को पहले ही बंद किया जा चुका है. संक्रमण का बढ़ना जिस रफ़्तार में कम होना चाहिए था वह नहीं हुआ तो सरकार ने पूरे सूबे को बंद करने का फैसला किया. यहाँ हुए बंद का नतीजा देखने के बाद जर्मनी के अन्य सूबों में भी ऐसी ही बंदी का एलान किया जा सकता है.
यूरोप में बंद जैसी पाबंदियां सबसे पहले इटली ने ही शुरू की थीं लेकिन इसके बावजूद इटली में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रसार को नहीं रोका जा सका. जर्मनी में इटली की तरह मरने वालों की तादाद तो नहीं बढ़ी है लेकिन कोरोना वायरस की चपेट में आने वालों की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ी है.
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जर्मनी में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वालों की संख्या 18 हज़ार से ज्यादा हो जाने की वजह से सरकार का चिंतित होना भी लाजमी है. यह चिंता कितनी बड़ी है कि सरकार ने अपने देश के सबसे बड़े राज्य को पूरी तरह से बंद करने का फैसला ले लिया. हालात नहीं सुधरे तो इस बंद को राष्ट्रीय स्तर तक बढ़ाया जा सकता है.
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यह पहला मौका है कि सरकार ने लम्बे समय के लिए पूरे राज्य को बंद करने का फैसला किया हो. जर्मनी में लम्बे समय के बाद यह ऐसा पहला बड़ा फैसला है जिसमें सरकार ने फैसला लेकर जनता को अपना फैसला सुना दिया है, वर्ना जर्मनी ऐसा लोकतांत्रिक देश है जहाँ पर सरकार जनता की सहमति से ही फैसले लेती है. सरकार के फैसलों में जनता की भागीदारी रहती है लेकिन जब देश पर संकट है तो सरकार ने पूरे सूबे को बंद करने का फैसला सुनाया है.
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जर्मनी की सरकार ने सब कुछ बंद करने का कड़ा फैसला अपने नागरिकों की लापरवाही देखने के बाद लिया. जर्मनी में कोरोना वायरस ने अपने पाँव पसारने शुरू किये तो सरकार ने स्कूलों की छुट्टियाँ कर दीं. लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी लेकिन अचानक से छुट्टियाँ मिल गईं तो लोग अपने बच्चों के साथ पार्कों में पार्टियाँ करने लगे. काफी शॉप पर काफी पीने में व्यस्त हो गए. लोगों ने छुट्टी की मस्ती का रास्ता अपनाया तो वायरस ने भी लोगों पर आक्रमण तेज़ कर दिया. मरने वालों की तादाद अचानक से तेज़ हो गई.
भारत ने भी कोरोना वायरस से निबटने के लिये एक दिन के बंद का एलान किया है ताकि कोरोना वायरस की चेन को तोड़ा जा सके. लोग पूरी तरह से जनता कर्फ्यू का पालन करेंगे तो 12 घंटे में वायरस दम तोड़ देंगे और नये लोग इन्फेक्शन का शिकार होने से बच जाएंगे. भारत समेत जिन देशों ने लॉकडाउन का एलान किया है वह वास्तव में कोरोना को हराने का सबसे ठीक तरीका है.