सैय्यद मोहम्मद अब्बास
भारत में एक बार फिर बैडमिंटन की हवा चल रही है। पहले सायना नेहवाल और अब पीवी सिंधु। भारतीय बैडमिंटन के दो सितारों ने लगातर भारत का मान बढ़ाया है। हालांकि इस दौरान श्रीकांत जैसे पुरुष खिलाड़़ी अपनी चमक बिखरने में कामयाब हुए है लेकिन श्रीकांत चोट और खराब फॉर्म की वजह से उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं।
श्रीकांत के बाद अब लक्ष्य सेन विश्व बैडमिंटन पर धमाकेदार प्रदर्शन से विश्व बैडमिंटन में एक बार फिर भारतीय बैडमिंटन का डंका बजता नजर आ रहा है। लक्ष्य सेन इस समय प्रचंड फॉर्म में हैं। ऐसे में देखा जाये तो प्रकाश पादुकोण, पुलेला गोपीचंद, सैयद मोदी जैसे बड़े सितारे के बाद लक्ष्य सेन अब विश्व बैडमिंटन पर अपनी अलग छाप छोड़ रहे हैं।
भारतीय पैरा बैडमिंटन के पहले द्रोणाचाय और भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच गौरव खन्ना ने लक्ष्य सेन के ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप के फाइनल में जगह बनाने को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने जुबिली पोस्ट से बातचीत में कहा कि लक्ष्य सेन का प्रदर्शन इसलिए भी खास हैक्योंकि हाल के दिनों में बड़ा सवाल था कि भारत का अगला सितारा कौन होगा। दरअसल हाल के दिनों में भारतीय बैडमिंटन उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सका है। श्रीकांत जैसे खिलाड़ी अब वैसी लय में नहीं हैं। ऐसे में लक्ष्य सेन का धमाकेदार प्रदर्शन भारत के लिए नई उम्मीद बनकर सामने आया है। उम्मीद है कि आने वाले समय लक्ष्य और शानदार प्रदर्शन करेंगे।
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हाल में लक्ष्य इस समय करियर में शानदार दौर से गुजर रहे हैं। पिछले दो हफ्तों में वे बैडमिंटन के बड़े और प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जर्मन ओपन और ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले खेल चुके हैं।
हालांकि वे थोड़े दुर्भाग्यशाली रहे कि उन्हें दोनों ही खिताबी मुकाबलों में हार का सामना करना पड़ा। बीती रात लक्ष्य सेन ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप का खिताब जीतने से चूक गए है लेकिन उनके इस प्रदर्शन की हर कोई तारीफ कर रहा है।
20 साल के खिलाड़ी ने सेमीफाइनल के करीबी मुकाबले में जिया को 21-13 12-21 21-19 से हराकर फाइनल में जगह पक्की की थी लेकिन खिताबी मुकाबले में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी विक्टर एक्सेलसन ने लक्ष्य पर भारी पड़े और अपने अनुभव के बल पर खिताब पर कब्जा किया है। इसके साथ ही लक्ष्य का खिताब जीतने का सपना टूट।
दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी विक्टर एक्सेलसन ने लक्ष्य से खिलाफ फाइनल मुकाबले में गजब का प्रदर्शन किया। 28 साल के विक्टर ने अपने अनुभव का पूरा उपयोग करते हुए लक्ष्य को इस बड़े मुकाबले में खुलकर खेलने का एक भी मौका नहीं दिया।
इस दबाव के चलते लक्ष्य टूट गए विक्टर विजयी रहे। लक्ष्य सेन 21 साल बाद फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं। 1980 में प्रकाश पादुकोण और 2001 में पुलेला गोपीचंद केवल दो भारतीय हैं जिन्होंने ऑल इंग्लैंड का खिताब जीता है।
2001 के बाद से कोई भी भारतीय यह प्रतिष्ठित खिताब नहीं जीत सका है। जबकि साइना नेहवाल 2015 में महिला एकल के फाइनल में पहुंची थी। शानदार लय में लक्ष्य लक्ष्य पिछले छह महीने से शानदार लय में चल रहे है। उन्होंने इस साल जनवरी में इंडिया ओपन के रूप में अपना पहला सुपर 500 टूर्नामेंट जीता था और फिर पिछले सप्ताह जर्मन ओपन के उपविजेता रहे थे।
लक्ष्य सेन के प्रदर्शन पर नजर
- एशियन जूनियर चैंपियनशिप 2018 में स्वर्ण पदक
- फरवरी 2017 में जूनियर वर्ल्ड नंबर 1 बन गए थे
- यूथ ओलंपिक 2018 में रजत पदक]
- 2022 ऑल इंग्लैंड ओपन उप-विजेता
- 2022 जर्मन ओपन उप-विजेता
- 2022 इंडिया ओपन विजेता
- 2021 BWF विश्व चैंपियनशिप कांस्य पदक
- 2021 डच ओपन उप-विजेता
- 2019 सारलोरलक्स ओपन विजेता
- 2019 डच ओपन विजेता
- 2019 बांग्लादेश इंटरनेशनल विजेता
- 2019 स्कोटिश ओपन विजेता
- 2019 बेल्जियन इंटरनेशनल विजेता
- 2019 पोलिश ओपन उप-विजेता
- 2018 इंडिया इंटरनेशनल विजेता
- 2017 इंडिया इंटरनेशनल उप-विजेता
- 2017 इंडिया इंटरनेशनल सीरीज विजेता
- 2017 बुल्गारियन ओपन विजेता
- 2016 इंडिया इंटरनेशनल सीरीज विजेता
प्रकाश पादुकोण के प्रदर्शन पर नजर
- लगातार 7 साल तक नेशनल चैंपियन
- 1978 में प्रकाश पादुकोण अपना पहला अंतरराष्ट्रीय और पहला गोल्ड मेडल कनाडा के एडमंटोन में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में जीता
- 1979 में वह रॉयल एलबर्ट हॉल लंदन में ईवनिंग ऑफ चैंपियंस बने
- 1980 में वह डेनिश ओपन, स्वीडिशओपन जीतने के साथ वह पहले भारतीय बने जिन्होंने ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीती
- 1980 में ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीतते ही वह पहली रैंक हासिल करते ही दुनिया के नंबर वन बैडमिंटन प्लेयर बन गए
- प्रकाश पादुकोण ने साल 1991 में बैडमिंटन से सन्यास ले लिया
पुलेला गोपीचंद के प्रदर्शन पर नजर
- गोपी ने ऑल इंग्लैंड समेत अपने जीवन में 5 अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते
- 23 साल की उम्र में उन्होंने नैशनल चैंपियनशिप जीती
- और फिर अगले पांच साल तक इसे कायम रखा
- अर्जुन अवॉर्ड – 1999
- राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड- 2001
- पद्मश्री- 2005
- द्रोणाचार्य- 2009
- पद्मभूषण- 2014